भोजपुर: जिले के कोइलवर प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत सकड्डी-जमालपुर पथ के बालक ब्रह्मबाबा के पास दो दोस्तों ने मिलकर मिसाल पेश की है. दरअसल ये दोनों युवक मल्टीनेशनल कंपनी के लाखों का पैकेज छोड़कर गांव में मछली पालन कर रहे हैं. वो एक ऐसी विधि से मछली पालन कर रहे हैं, जिसमें तालाब की जरुरत नहीं है. क्षेत्र के लोगों में इस पद्धति को देखने व जानने के लिए उत्सुकता है.
भोजपुर जिला के रहने वाले यशवंत कुमार व नीरज कुमार त्रिपाठी पेशे से इंजीनियर और एमबीए होल्डर हैं. दोनों ने काफी कम जगह में बिना तालाब के, सिर्फ टैंक की मदद से मछली पालन कर मिसाल पेश की है. इन्होंने टंकी में मछली पालन के लिए बायोफ्लॉक विधि का इस्तेमाल किया है. इन टैंकों में मछली पालन करने से आर्थिक रूप से काफी मुनाफा है.
बायोफ्लॉक विधि से हो रहा मछली का पालन
इन टैंकों में कैट फिशेज प्रजाति की मछलियां जैसे मांगूर, पंगेशियस, सिंगी आदि का उत्पादन किया जा सकता है. इतना ही नहीं, इन टैंकों में साल में 2 बार मछलियों का उत्पादन किया जाता है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए दोनों ने बताया कि बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन करने की सबसे खास बात यह है कि इसमें तालाबों में मछली पालन से 75% कम खर्च आता है. यानी तालाब जितनी लागत में आप औसतन 4 टैंक में मछली पालन कर 3 लाख से ज्यादा की आमदनी कर सकते हैं.