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प्राथमिक स्वास्थ्य केंन्द्र से भी बदतर स्थिति में है बिहार का पहला सदर अस्पताल

भोजपुर के आरा में स्थित बिहार के पहले सदर अस्पताल में न तो मरीजों के लिए पर्याप्त बिस्तर हैं और न ही पर्याप्त चिकित्सक हैं. यहां अल्ट्रासाउंड, ICU, इमरजेंसी वॉर्ड सहित किसी भी तरह की जांच की सुविधा नहीं है.

आरा सदर अस्पताल

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Published : Jul 19, 2019, 4:07 PM IST

आरा:बिहार के पहले सदर अस्पताल की हालत प्राथमिक स्वास्थ्य केंन्द्र से भी बदतर है. भोजपुर जिला में स्थित आरा का यह अस्पताल कहने को तो 300 बेड का है, लेकिन यहां केवल 150 बेड ही मौजूद हैं. बेड की कमी की वजह से मरीजों का जमीन पर ही इलाज होता है. यहां अल्ट्रासाउंड, ICU और डॉक्टरों की भी घोर कमी है.

अल्ट्रासाउंड और ICU की सुविधाओं से वंचित हैं लोग
कहने को तो यह अस्पताल सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है, लेकिन इलाज और सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है. यहां पर अल्ट्रासाउंड, ICU, इमरजेंसी वार्ड या अन्य किसी भी प्रकार की जांच की सुविधा नहीं है. लोग यहां अल्ट्रासाउंड कराने आते हैं तो उन्हें दूसरी जगह जाने को कहा जाता है. अस्पताल अधीक्षक तकनीकी सहायकों की कमी बताकर मामले से पल्ला झाड़ लेता है.

जमीन पर लेटे मरीज

कुत्तों से परेशान हैं लोग
यहां लोगों को सुविधाएं नहीं मिलती हैं, लेकिन आवारा कुत्ते अक्सर इस अस्पताल में घूमते नजर आते हैं. आम लोगों को इन कुत्तों की वजह से काफी परेशानी होती है. लेकिन, अस्पताल प्रबंधन का इस बात से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है.

डॉक्टरों की घोर कमी
लगभग 30 लाख जनसंख्या वाले भोजपुर जिले के सदर अस्पताल में इलाज के लिए मात्र 38 डॉक्टर हैं. कई ऐसे भी पद हैं जो वर्षो से रिक्त पड़े हुए हैं. अस्पताल में मनोचिकित्सक, ईएनटी चिकित्सक, आयुष (होम्योपैथी, यूनानी और आयुर्वेदिक) चिकित्सक, पैथोलॉजिस्ट, ईसीजी टेक्नीशियन, इको टेक्नीशियन, ऑडियोमेट्री और ओटी सहायक के पद वर्षों से रिक्त हैं. जिस कारण विभिन्न जांच के लिए पटना रेफर करना पड़ता है.

अस्पताल में घुम रहे कुत्ते

वर्षों से धूल फांक रही है मोर्चरी की मशीन
अज्ञात लाशों को सुरक्षित रखने के लिए मोर्चरी रूम की मशीन अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता की वजह से बंद पड़ी है. 2010 में ही जनप्रतिनिधि वार्ड के बगल में मोर्चरी का शुभारंभ हुआ था, लेकिन कुछ ही महीनों के बाद मशीन खराब हो गई. तब से अब तक इस सुविधा से भोजपुर के आमजन वंचित हैं. अस्पताल अधीक्षक विभागीय पत्र लिखे जाने का हवाला देकर फिर से अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेता है.

प्रशासनिक पदाधिकारी निरीक्षण करते रहते हैं
अस्पताल में अव्यवस्थाओं और कर्मियों की लापरवाही को लेकर प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा निरीक्षण होता रहता है. फिर भी अस्पताल और इसके प्रबंधन की स्थिति में कोई सुधार देखने को नहीं मिलता है. जबकि, जिला प्रशासन के द्वारा व्यवस्था में सुधार करने और उचित कार्रवाई करने की बात कही जाती है.

बदतर हालात में आरा सदर अस्पताल

बिस्तरों की संख्या:

  • प्रसूता वार्ड- 48 बिस्तर
  • जनप्रतिनिधि वार्ड- 06 बिस्तर
  • कैदी वार्ड- 11 बिस्तर
  • पुरुष सर्जिकल वार्ड नंबर 2- 11 बिस्तर
  • पुरुष सर्जिकल वार्ड नंबर 3- 10 बिस्तर
  • बर्न वार्ड नम्बर 4- 12 बिस्तर
  • महिला मेडिकल वार्ड नंबर 1- 10 बिस्तर
  • महिला मेडिकल वार्ड नंबर 2- 10 बिस्तर
  • नशा मुक्ति वार्ड- 19 बिस्तर
  • आपातकालीन वार्ड - 9 बिस्तर
  • कुल - 146 बिस्तर

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