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भोजपुरः सीजन में भी सस्ता नहीं हुआ आलू, जानें, क्यों बढ़े दाम? - Potato farming in Bhojpur

आलू को लेकर बिहार सरकार में कोई स्किम नहीं है, ना ही जिला में आलू का लक्ष्य रखा जाता है. सरकार के जरिए आलू का कोई रेट भी तय नहीं है. वर्तमान में किसानों को आलू के बीज 1800 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल खरीदना पड़ रहा है. यही वजह है कि किसान आलू की खेती छोड़ रहे हैं और अपने खेतों में दूसरी फसल लगा रहे हैं.

आलू की खेती
आलू की खेती

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Published : Dec 29, 2020, 1:55 PM IST

Updated : Dec 29, 2020, 4:03 PM IST

आराःआलू की बढ़ी कीमतों ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. आलू के महंगे बीज और सरकार के जरिए समय पर बीज उपलब्ध नहीं होने की वजह से आधे से ज्यादा किसान इस बार आलू की खेती नहीं कर रहे हैं.अधिक लागत और मौसम की मार के बाद फसल की बर्बादी से भी किसान डरे हुए हैं. ऐसे में आलू की जगह अब दूसरी फसल किसान अपने खेतों में लगाने को मजबूर हैं. जिसका असर यह है कि मार्केट में आलू की कमी हो जा रही हैऔर थोक से लेकर खुदरा भाव में आलू महंगी कीमतों पर बेचा जा रहा है.

आलू की कीमत में बेतहाशा वृद्धि
जिले के उदवंतनगर प्रखंड के किसानों की माने तो आलू की कीमत में बेतहाशा वृद्धि हो गई है. जिससे बीज और खाद भी महंगे हो गए हैं. ऐसे में आलू की खेती में जितनी लागत लगती है उसकी आधी भी आमदनी नहीं होती है. साथ ही पिछले वर्ष अधिक कुहासा गिरने की वजह से आलू की फसल को काफी नुकसान हो गया था. इस डर से भी किसान आलू की खेती नहीं करना चाहते हैं.

सब्जियों के खेत में किसान

किसान कहते हैं- भले ही आलू अभी महंगा है. लेकिन जब हमारे खेतों में आलू तैयार होकर बाजार में आता है तब 10 किलो की दर से भी कीमत नहीं मिलती है.

वर्तमान में किसानों को आलू का बीज 1800 से 2500 रुपया प्रति क्विंटल खरीदना पड़ रहा है. मुख्य वजह यह भी है कि जब तक फसल तैयार हो जाएगी और उत्पाद लेकर बेचने जाएंगे तो माल को अचानक बढ़ोतरी से बिचौलिए और व्यापारियों द्वारा उनका माल अधिकतम 700 से 800 रुपया प्रति क्विंटल खरीदा जाएगा.

खेतों में किसान

'आलू का बीज महंगा होने हम काफी परेशान है. सरकार के द्वारा किसानों को आलू के बीज उपलब्ध कराए जाने के लिए बिहार सरकार में कोई योजना नहीं है. 40 से 50 रुपये किलो आलू के बीज बाजार में बेचे जा रहे हैं. ऐसे में मजबूरन आलू की खेती छोड़नी पड़ रही है. हम खेतों में दूसरी फसल लगा रहे हैं'- कृष्णा सिंह,किसान

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

किसानों का कहना है कि ऐसे में लागत और 4 महीना के मजदूरी निकाल पाना भी हमारे के लिए बहुत मुश्किल होगा. सरकार की ओर से आलू की खरीद रेट तय नहीं होने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. जबकि बिचौलियों द्वारा उसी माल को कोल्ड स्टोरेज कराकर बेचने में मुनाफा होता है.

बिहार में इससे पहले कभी भी आलू के दामों में इतनी तेजी नहीं हुई थी दुकानदारों और व्यापारियों की मानें तो कम से कम 30 से 40 साल का रिकॉर्ड टूटा है.आलू इतना महंगा कभी नहीं हुआ था.

खेत में लगा आलू

आलू किसानों के लिए किया जाएगा प्लान तैयार
इस सिलसिले में ईटीवी भारत के संवददाता ने जब कृषि पदाधिकारी से बातचीत की और किसानों की समस्या से अवगत कराया तो कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि आलू को ले कर बिहार सरकार में कोई स्किम नहीं है, ना ही जिला में आलू का लक्ष्य रखा जाता है. लेकिन इस बार कृषि विभाग से आग्रह किया जाएगा कि आलू किसानों के लिए कोई प्लान तैयार करें ताकि आलू किसानों को लाभ मिल सके.

Last Updated : Dec 29, 2020, 4:03 PM IST

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