भोजपुरःबिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था (Health System Of Bihar) अपनी बदहाली के कारण अक्सर सुर्खियों में रहती है. इसकी बदहाली के पन्ने में एक और अध्याय उस वक्त जुड़ गया, जब भोजपुर सदर अस्पताल (Bhojpur Sadar Hospital) में 50 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी लावारिस शव को हटाया नहीं गया. नतीजा ये हुआ कि पूरा अस्पताल परिसर दुर्गंध से भर गया.
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दरअसल, 12 सितंबर को आरा सदर अस्पताल में जदयू नेता विश्वनाथ सिंह ने एक अज्ञात महिला को इलाज के लिए भर्ती कराया था. महिला के पैर में गंभीर जख्म थे. जख्म इतने गंभीर थे कि उसमें कीड़े पड़ गए थे. बहरहाल, महिला को अस्पताल में भर्ती कराया तो गया पर उसका इलाज हुआ कि नहीं ये कहा नहीं जा सकता.
आलम ये हुआ कि अस्पताल में धीरे-धीरे दुर्गंध आने लगी. वार्ड में भर्ती मरीज और उनके परिजनों ने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों से सर्जिकल वार्ड से बदबू आ रही है. जब बदबू ने उन्हें परेशान कर दिया तो उन्होंने इसकी शिकायत अस्पताल के कर्मियों से की. सभी ने 'हां, करवाते हैं' कहकर मामले को नजरअंदाज कर दिया.
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नतीजा ये हुआ कि सर्जिकल वार्ड से सटे वार्डों में तो मरीज का बदबू के कारण दम घुटने लगा. परिजनों के बार-बार शिकायत के बाद भी शव को नहीं हटाया गया तो उन्होंने मरीजों को उनके बेड सहित अस्पताल के बाहर कॉरिडोर में ले लाए. इधर, अस्पताल के प्रबंधक ने मरीज की 24 घंटे पहले मौत होने की बात स्वीकार की है.
"मरीज की मौत तीन-चार दिनों पहले नहीं बल्कि 24 घंटे पहले हुई है. इसकी सूचना स्थानीय थाने को दे दी गई है. पहले लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार लावारिस सेवा केन्द्र के कर्मचारी करते थे, लेकिन पिछले कई महीनों से वे सदर अस्पताल में कार्यरत नहीं हैं. ऐसे में नया नियम ये बना है कि जिस थाना क्षेत्र में मरीज की मौत होगी, उसी थाने के द्वारा मृतक का अंतिम संस्कार किया जाएगा."- कौशल दुबे, अस्पताल प्रबंधक
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असल में जब इस खबर को कवर करने ईटीवी भारत संवाददाता सदर अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल प्रशासन की नींद खुली. आनन-फानन में शव को सर्जिकल वार्ड से हटाकर पोस्टमार्टम रूम में ले जाया गया. खबर लिखे जाने तक भी शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया है. बता दें कि हाल ही में इसी अस्पताल में बोरा में शव ढोने का मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन की किरकिरी हुई थी. अभी वह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि बदहाली की एक और खबर सामने आ गई. यह बिहार के बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को दिखाने के लिए काफी है.
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