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इस्माइलपुर में करोड़ों की लागत से बना स्पर ढहा, आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों में दहशत

कटाव की सूचना मिलते ही पटना हाईकोर्ट अधिवक्ता सहित बड़ी संख्या में सैदपुर के ग्रामीण कटाव स्थल पर पहुंचे. इसकी सूचना जल संसाधन विभाग के वरीय अभियंताओं को भी दिया गया.

भागलपुर

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Published : Nov 14, 2019, 12:01 AM IST

Updated : Nov 14, 2019, 5:58 AM IST

भागलपुर:जिले के नवगछिया अनुमंडल क्षेत्र में बाढ़ और कटाव से लोगों में काफी भय है. बिते 14 और 15 अक्टूबर को गंगा किनारे बने बांध का स्पर संख्या 6 नदी में बह गया. वहीं, पिछले 12 नवंबर को भी स्पर संख्या 5 ध्वस्त हो गया. साथ ही स्पर संख्या 5 N2 और स्पर संख्या 6 के बीच 300 मीटर से अधिक एरिया में भारी कटाव हो गया है. गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर से 5 अन्य स्परों पर दबाव बढ़ा हुआ है.

स्परों के लगातार ध्वस्त होने के कारण गंगा नदी का मुख्य तटबंध से महज कुछ ही दूरी बचा है. कटाव की सूचना मिलते ही पटना हाईकोर्ट अधिवक्ता सहित बड़ी संख्या में सैदपुर के ग्रामीण कटाव स्थल पर पहुंचे. इसकी सूचना जल संसाधन विभाग के वरीय अभियंताओं को भी दी गई.

इस्माईलपुर में ढहा स्पर

कटाव स्थल पर पहुंचे कनीय अभियंता
वरीय अभियंताओं के निर्देश पर कनीय अभियंता ई. अम्बिका साह कटाव स्थल पर पहुंचे. कटाव का वीडियो बना कर वरीय अभियंताओं को भेजा गया. वहीं, स्पर संख्या 5 N2 पर पिछले कई सालों से रखे गए विभागीय बोल्डर भी गंगा नदी में समाने की स्थिति में है, लेकिन इस मामले पर विभाग के कोई भी पदाधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. बताया जाता है कि स्परों के निर्माण के समय उसपर रोलर और पानी का छिड़काव नहीं किया जाता है. सिर्फ मिट्टी को पहाड़ की तरह ढेड़ लगा दिया जाता है. इसी से यह स्पर कमजोर रह जाता है. वहीं, सैदपुर के बुजुर्गों के ने बताया कि गंगा नदी अपनी पुरानी धारा में बहने की ओर बढ़ रही है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

गंगा में समा चुके हैं एक दर्जन से अधिक गांव
बता दें कि सैदपुर और आसपास के गांव के लोग संभावित कटाव के कारण डर के साये में जी रहे हैं. पूर्व में भी कटाव के कारण एक दर्जन से अधिक गांव गंगा नदी में समा गया था. इसके कारण विस्थापित परिवार जहां-तहां रहने को विवश हैं. जिले में बाढ़ से लोगों को सुरक्षित रखने की कोशिश में जल संसाधन विभाग ने इस्माइलपुर से बिंद टोली के बीच 14 स्परों का निर्माण कराया था. इसे बनाने में एक दशक का समय लग गया. वहीं, इसके निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किये गए, लेकिन यह स्पर ताश की पत्तों की तरह बिखर गया. बताया जाता है कि स्पर निर्माण के समय से ही इसके ढ़हने का सिलसिला शुरू हो गया था. इसके ढ़हने के पीछे की वजह निर्माण में भारी अनियमितता बतायी जा रही है.

Last Updated : Nov 14, 2019, 5:58 AM IST

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