भागलपुर: रविवार को मजदूरों से भरी बिहार राज्य परिवहन निगम की बस उत्तर प्रदेश के बॉर्डर से भागलपुर पहुंची. यहां सभी मजदूरों को बाद कुछ देर विश्राम कराया गया. इसके बाद उन्हें स्थानीय प्रखंड के मुख्यालय में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर में ले जाया गया. यहां उन्हें 14 से 21 दिनों तक रखा जाएगा. इसके बाद उनकी जांच की जाएगी. फिर सब कुछ ठीक होने पर उन्हें घर जाने दिया जाएगा.
वहीं, बस से भागलपुर और बांका जिले के मजदूर को भी यहां लाया गया. पॉलिटेक्निक कॉलेज में बने परिवहन कोषांग में भागलपुर से संबंध रखने वाले 8 मजदूर को उतार दिया. इसके बाद बांका के लिए रवाना हो गए.
क्या कहते हैं मजदूर
नासिक से पैदल आ रहे मोहम्मद मुस्तकीम ने बताया कि उन्हें यूपी-बिहार के बॉर्डर पर रोक लिया गया और वहां से बस में बैठाकर यहां ले आया गया. उन्होंने कहा कि वे 3 दिन से भूखे हैं, रास्ते में कहीं खाना-पीना नहीं मिला. उनका कोई नहीं है, एक बहन है, जिसकी शादी हो गई है. वह कोलकाता में रह रही है. वे भागलपुर के सहजंगी के रहने वाले हैं.
'नहीं मिला खाना पीना'
मोहम्मद तबरेज ने बताया कि नासिक से भागलपुर पैदल आ रहे थे, इस दौरान उत्तर प्रदेश में मेरे साथ कुछ गुंडों ने लूटपाट किया. पैसा और बैग भी छीन लिया. फिर हम पैदल यूपी बॉर्डर पहुंचे तो हमें यहां पर लाया गया. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो सुविधा दिया है उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. लेकिन खाने की व्यवस्था सरकार ने नहीं की थी, हम लोग भूखे हैं.
मजदूरों के लिए की गई व्यवस्था
बता दें कि 8 मजदूर में दो सनहौला प्रखंड, दो भागलपुर, एक खरीक और एक कहलगांव प्रखंड के थे. सभी मजदूर को यूपी और बिहार बॉर्डर पर रोका गया था. सभी पैदल और साइकिल के सहारे अपने-अपने घर आ रहे थे. भभुआ बॉर्डर से बिहार सरकार की बसों में सभी को यहां पहुंचाया गया. सभी मजदूर के हाथों में क्वॉरेंटाइन का मुहर लगाया गया था. यहां पहुंचने पर सभी मजदूर को थोड़ी देर विश्राम दिया गया. इस दौरान उन्हें पेयजल और कुछ नाश्ता कराया गया.
मजदूरों के विश्राम के लिए पंडाल लगाया गया है. जिसमें कुर्सी और बेड भी लगाए गए हैं. यहां पर 1 नोडल अधिकारी, मॉनिटरिंग के लिए अधिकारी और सहायक नोडल अधिकारी को भी लगाया गया है. सभी अधिकारी बाहर से कोषांग में आ रहे मजदूरों पर निगरानी रखेंगे.