भागलपुर: जिले के बुनकर रेशम के कपड़े बनाने में दुमका, बांका, गोड्डा सहित अन्य जगहों के कोकून का उपयोग कर रहे हैं. वहीं बिचौलियों के कारण कोकून को खरीदने में बुनकर को अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. जिले में कोकून बैंक नहीं होने से बिचौलिए अपने घरों में इसका भंडारण करते हैं. इसको लेकर जिला प्रशासन ने कोकून बैंक स्थापना करने की पहल शुरू कर दी है.
भागलपुर: कोकून बैंक की स्थापना को लेकर कवायद शुरू, डीएम को सौंपी गई कार्य योजना - कोकून का भंडारण
जिले में कोकून बैंक नहीं है. जिस वजह से बिचौलिए कोकून का भंडारण कर रखते हैं. बुनकर बिचौलियों से ही कोकून खरीदते हैं. इससे कपड़ा बनाने में उन्हें अधिक लागत लगता है. जिले में कोकून बैंक की स्थापना को लेकर कार्य योजना डीएम को सौंपीं गई है.
भागलपुर उद्योग विभाग के महाप्रबंधक रामशरण राम ने इसको लेकर कार्य योजना जिलाधिकारी प्रणब कुमार को सौंपी है. वहीं डीएम ने इसे मुख्यालय को भेज दिया है. स्वीकृति मिलते ही कोकून बैंक की स्थापना को लेकर तैयारी शुरू की जाएगी. जिला उद्योग विभाग के महाप्रबंधक रामशरण राम ने कहा कि जिले में बुनकर अभी दुमका, बांका, गोड्डा सहित अन्य जगहों के मंगाए हुए कोकून का इस्तेमाल कपड़े बनाने में कर रहे है. कोकून सीजनल है. इसलिए कपड़े के लिए कोकून हर समय नहीं मिलता है.
जिले में बनेगा कोकून बैंक
महाप्रबंधक ने कहा कि जिले में कोकून बैंक नहीं है. जिस वजह से बिचौलिए कोकून का भंडारण कर रखते हैं. बुनकर बिचौलियों से ही कोकून खरीदते हैं. इससे कपड़ा बनाने में उन्हें अधिक लागत लगता है. जिले में कोकून बैंक की स्थापना को लेकर कार्य योजना डीएम को सौंपीं गई है. मुख्यालय से स्वीकृति मिलने के बाद कोकून बैंक यहां बनाया जाएगा. इससे बुनकरों को काफी लाभ मिलेगा. वह सस्ते दर पर यहां से कोकून खरीद पाएंगे. उन्होंने कहा कि जिले में अब कपड़ों में चयनिज धागे का इस्तेमाल कम हो रहा है. जिसके कारण कपड़ों की मजबूती भी बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि एक साड़ी को तैयार करने में अगर देसी तस्सर 500 ग्राम लगता है. वहीं चाइनीज धागा तीन सौ ग्राम लगता है. लेकिन इससे तैयार कपड़े की क्वालिटी कम हो जाती है.