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श्रावणी मेला 2022: सुल्तानगंज श्रावणी मेले में टूट रही मजहब की दीवारें - Baba Dham Kanwar Yatra

श्रावणी मेले के दौरान अजगैवीनगरी में सौहार्द और भाईचारे का संगम (harmony and brotherhood in Ajgavi Nagari during Shravani Mela) भी देखने को मिलता है. मेला में 100 से अधिक दुकानें मुस्लिम सम्प्रदाय के लोगों की है. मुस्लिम सुल्तानगंज आए शिव भक्तों का सम्मान कर हर तरह का सहयोग प्रदान कर रहे हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

श्रावणी मेले के दौरान अजगैवीनगरी में सौहार्द और भाईचारे का संगम
श्रावणी मेले के दौरान अजगैवीनगरी में सौहार्द और भाईचारे का संगम

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Published : Jul 23, 2022, 9:39 AM IST

भागलपुर:बिहार के सुल्तानगंज में एक महीने तक लगने वाले विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला लाखों लोगों के जीवन का आधार भी बनता है. अगर ये लोक आस्था और धार्मिक श्रद्धा का मेला है तो सांप्रदायिक सौहार्द का भी मेला यहां देखने को मिलता है. इस मेले में शिव भक्त जहां भगवा पोशाक में बोलबम का नारा लगा रहे हैं, तो मुस्लिम दुकानदार उनकी सारी आवश्यकता की वस्तुओं की पूर्ति कर रहे हैं कि रास्ते में कांवड़ यात्रा के दौरान किसी चीज की कमी नहीं रह जाए.

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श्रावणी मेले के दौरान अजगैवीनगरी में सौहार्द और भाईचारे का संगम: सुल्तानगंज स्थित उत्तरवाहिनी गंगा के हर तरफ गेरुआ वस्त्रधारी नजर आ रहे हैं. कांवड़ियों का कारवां निरंतर देवघर बाबाधाम की ओर बढ़ता जा रहा है. मंदिरों से घंटे भी गुंजायमान हो रहे. सुल्तानगंज श्रावणी मेला में 100 से अधिक दुकानें मुसलमान भाई लगाए हुए हैं. अगरबत्ती, माचिस से लेकर डब्बा, डमरू, बैग, चूनरी सहित पूजा की सामग्री बेच रहे हैं. खगड़िया के रहने वाले 75 साल के शेख शनिफ कहते हैं कि सुल्तानगंज श्रावणी मेला में 40 साल से दुकानदारी कर रहे हैं. हिन्दू, मुसलमान सभी एक जैसे कारोबार करते हैं. अजान की आवाज पर नमाजें भी पढ़ने जाते हैं और आकर पूजा की सामग्री भी बेचते हैं. कोई भेदभाव नहीं है यहां. वे कहते हैं साल भर की कमाई इसी मेले में दो महीने दुकान लगाकर पूरी हो जाती हैं. पूरा परिवार मेला की दुकानदारी में लगा रहता है. वे कहते हैं, हमलोग दो महीने तक खाने में लहसुन, प्याज का भी सेवन नहीं करते हैं.

सुल्‍तानगंज से बाबाधाम तक कांवड़ यात्रा:कांवड़िए अपनी यात्रा प्रारंभ करने के पूर्व वस्त्रों में अपने पहचान के लिए नाम लिखवाते हैं. इस कार्य में भी मुस्लिम युवा ही अपना हुनर दिखा रहा. युवा खलील कहते है कि हमलोग टोपी लगाकर बम के वस्त्रों पर भगवान शंकर की तस्वीर, त्रिशूल की तस्वीर बनाते हैं, लेकिन कोई मना नहीं करता. श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. अन्य स्थानों पर हिंदू मुस्लिम तनाव के संबंध में पूछे जाने पर दुकानदार कहते हैं यहां तो भाईचारगी है. काम करने के दौरान नमाज का वक्त हो जाए तो नमाज भी पढ़ता हूं और फिर काम में लग जाता हूं. इनका मानना है कि रोजगार और कांवड़ियों की सेवा से उन्हें सुकून मिलता है और इसके साथ-साथ कमाई भी अच्छी हो जाती है. श्रावणी मेले ने जातीय और धार्मिक वैमनस्यता के बंधन को तोड़ दिया है.

हिंदू और मुस्लिम भाइयों के बीच यहां प्रेम सदभाव की आभा देखने को मिल रही है. अगरबती खरीदने आए कांवड़ियों को भी इन मुस्लिम दुकानदारों पर फक्र है, जो रोजगार के लिए ही सही मजहब की दीवार तोड़ने की कोशिश में जुटे हैं. कई शिव भक्त कांवड़िये इनके दिए समानों के साथ बाबाधाम रवाना हो रहे हैं.

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