भागलपुर:बिहार के सुल्तानगंज में एक महीने तक लगने वाले विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला लाखों लोगों के जीवन का आधार भी बनता है. अगर ये लोक आस्था और धार्मिक श्रद्धा का मेला है तो सांप्रदायिक सौहार्द का भी मेला यहां देखने को मिलता है. इस मेले में शिव भक्त जहां भगवा पोशाक में बोलबम का नारा लगा रहे हैं, तो मुस्लिम दुकानदार उनकी सारी आवश्यकता की वस्तुओं की पूर्ति कर रहे हैं कि रास्ते में कांवड़ यात्रा के दौरान किसी चीज की कमी नहीं रह जाए.
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श्रावणी मेले के दौरान अजगैवीनगरी में सौहार्द और भाईचारे का संगम: सुल्तानगंज स्थित उत्तरवाहिनी गंगा के हर तरफ गेरुआ वस्त्रधारी नजर आ रहे हैं. कांवड़ियों का कारवां निरंतर देवघर बाबाधाम की ओर बढ़ता जा रहा है. मंदिरों से घंटे भी गुंजायमान हो रहे. सुल्तानगंज श्रावणी मेला में 100 से अधिक दुकानें मुसलमान भाई लगाए हुए हैं. अगरबत्ती, माचिस से लेकर डब्बा, डमरू, बैग, चूनरी सहित पूजा की सामग्री बेच रहे हैं. खगड़िया के रहने वाले 75 साल के शेख शनिफ कहते हैं कि सुल्तानगंज श्रावणी मेला में 40 साल से दुकानदारी कर रहे हैं. हिन्दू, मुसलमान सभी एक जैसे कारोबार करते हैं. अजान की आवाज पर नमाजें भी पढ़ने जाते हैं और आकर पूजा की सामग्री भी बेचते हैं. कोई भेदभाव नहीं है यहां. वे कहते हैं साल भर की कमाई इसी मेले में दो महीने दुकान लगाकर पूरी हो जाती हैं. पूरा परिवार मेला की दुकानदारी में लगा रहता है. वे कहते हैं, हमलोग दो महीने तक खाने में लहसुन, प्याज का भी सेवन नहीं करते हैं.