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भागलपुर: जब बच्चे सो जाते हैं तब यहां खरना करने की है परंपरा - खरना करने की परंपरा

ऐसी मान्यता है कि यदि घर में किसी बच्चे का शोर या किसी भी तरह की आवाज व्रती के कानों में पड़े तो उन्हें प्रसाद ग्रहण करना बीच में ही छोड़ना पड़ता है. ऐसे में छठव्रती भूखे रह सकती हैं. इसलिए शांत वातावरण में खरना पूजन किया जाता है

भागलपुर में खरना पूजन

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Published : Nov 2, 2019, 10:00 AM IST

भागलपुर: महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है. आज शाम सभी व्रती सूर्य देवता को अर्घ्य देंगी. कल पूरा दिन उपवास रहकर छठव्रतियों ने खरना किया. गुड़ और चावल का खीर बनाकर अपने कुलदेवता और छठी मईया को चढ़ाने के बाद प्रसाद ग्रहण करने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है. लेकिन जिले में खरना करने की परंपरा थोड़ी अलग है.

लोगों की मानें तो शांत रात में खरना पूजन करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. यहां व्रती जब खरना का प्रसाद बनाकर भगवान सूर्य, कुलदेवता और छठ मईया को चढ़ाने के बाद ग्रहण करना शुरु करती हैं. तो ऐसी मान्यता है कि यदि घर में किसी बच्चे का शोर या किसी भी तरह की आवाज व्रती के कानों में पड़े तो उन्हें प्रसाद ग्रहण करना बीच में ही छोड़ना पड़ता है.

जानकारी देते स्थानीय

यहां अलग है खरना करने की परंपरा
ऐसे में छठव्रती भूखे रह सकती हैं. इसलिए शांत वातावरण में खरना पूजन किया जाता है जिससे की व्रती जब प्रसाद ग्रहण करना शुरू करें तो भरपेट कर सके, क्योंकि उन्हें 36 घंटे तक निर्जल उपवास करना पड़ता है. जब घर के सभी बच्चे सो जाते हैं तब वो खरना का प्रसाद ग्रहण करती हैं.

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