घोड़े पर सवार होकर स्कूल जाता है सिवान का छात्र भागलपुर: सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती है ताकि कोई बच्चा ज्ञान के प्रकाश से वंचित ना रहे. लेकिन जब स्कूल तक जाने के लिए सड़क ही ना हो तो फिर ज्ञान के मंदिर तक पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं होता. इस चुनौती को दरकिनार करते हुए भागलपुर के छात्र ने कुछ ऐसा रास्ता निकाला कि आज सभी की जुबान पर उसकी चर्चा है.
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घोड़े पर सवार होकर स्कूल जाता है छात्र: ये छात्र हैं भागलपुर जिले के नारायणपुर प्रखंड अंतर्गत नगरपारा गांव के कक्षा छठवीं का छात्र पौरव कुमार. सुनसान और खराब सड़क होने की वजह से पौरव घोड़े पर बैठकर स्कूल जाते हैं. तमाम चुनौतियों को मात देते हुए घोड़े के सहारे वो प्रतिदिन स्कूल पहुंचकर पढ़ाई करते हैं. गरीब परिवार का पौरव कुमार बुनियादी अभ्यास विद्यालय नगरपारा में कक्षा छठवीं का छात्र है और वह अपने गांव में रहकर पढ़ाई कर रहा है.
नहीं है सड़क: घर से स्कूल की दूरी लगभग 1 किलोमीटर पड़ती है. स्कूल के रास्ते पीसीसी सड़क भी नहीं है. खेत ,खलिहान, बगीचे होकर स्कूल आना जाना पड़ता था जो छात्र पौरव के लिए कठिनाइयों भरा सफर होता था तो पौरव ने घोड़े को स्कूल आने जाने के लिए अपना वाहन बना लिया. घुड़सवारी कर स्कूल पहुंच रहा छात्र पौरव हर दिन घोड़े पर सवार होकर बड़ी शान से स्कूल जाता है. पढ़ाई के दौरान स्कूल के पास के मैदान में वह घोड़े को बांध देता है.
'कक्षा के समय मैदान में रहता है घोड़ा': इस दौरान घोड़ा मैदान में घास चरता रहता है. इसके बाद जब गौरव के स्कूल की छुट्टी होती है तो वह वापस घोड़े पर सवार होकर अपने घर के लिए चल देता है. जब ईटीवी भारत के संवाददाता रजनीकांत उपाध्याय ने घोड़े पर सवार होकर स्कूल से आ रहे छात्र पौरव से मुलाकात की और उस से घोड़े पर स्कूल जाने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि पीसीसी सड़क नहीं है. इसी कारण घोड़े को स्कूल आने जाने के लिए अपना वाहन बनाया है.
"सड़क नहीं है. स्कूल आने जाने में काफी परेशानी होती थी. रोड नहीं बना है. घोड़ा पर मुझे डर नहीं लगता है. सांप भी रास्ता में दिखता है इसलिए मैं घोड़े पर सवार होकर स्कूल जाता हूं. छह महीना से घोड़ा पर ही स्कूल जाते हैं. "-पौरव, छात्र