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बेगूसराय में कई ट्रेड यूनियन ने निजीकरण के खिलाफ किया प्रदर्शन

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Published : Sep 23, 2020, 8:04 PM IST

बेगूसराय में कई ट्रेड यूनियन ने निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान नेताओं ने कहा कि हम जान दे सकते हैं, लेकिन रेलवे और सार्वजनिक संपत्ति को बेचने नहीं देंगे.

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ट्रेड यूनियन ने किया प्रदर्शन

बेगूसराय:जिले में एटक, सीटू, ऐक्टू, इंटक और अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने सेंट्रल ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर अम्बेदकर चौक से एक प्रतिरोध मार्च निकाला. गगनभेदी नारों के साथ रेलवे स्टेशन पहुंच कर रोषपूर्ण प्रदर्शन किया गया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने जब स्टेशन के अंदर प्रवेश करना चाहा, तो पुलिस ने उन्हें बाहर ही रोक दिया. बाद में वहीं पर ट्रेड यूनियन के संयोजक सह सीटू के राज्य सचिव सुरेश प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में सभा की गई.

दुनिया नहीं है किसी की जागीर
नेताओं ने कहा कि हम जान दे सकते हैं, लेकिन रेलवे और सार्वजनिक संपत्ति को बेचने नहीं देंगे. दुनिया किसी की जागीर नहीं, हिन्दुस्तान हमारा है. रेलवे का नीजीकरण करके सरकार स्टेशन पर चाय बेचने वाले से लेकर आम आवाम के उपर कुठाराघात किया है. इस परिस्थिति में संघर्ष के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता है. पूर्वजों ने अंग्रेजी सल्तनत से लोहा लेकर आजाद देश में सर्वांगीण विकास के लिए सार्वजनिक प्रतिष्ठान को बनाया.

सरकारी संपत्ति को बेचने का काम
नेताओं ने कहा कि आज के दौर में पुनः मोदी सरकार ने सरकारी संपत्ति को बेचने का काम किया है. देश को गुलाम बनाने की साजिश हो रही है. इस परिस्थिति में हमलोग संयुक्त ट्रेड यूनियन आम जनता के साथ सड़क पर उतरते हुए सरकार को बेनकाब करेंगे. इस प्रदर्शन में सभी ट्रेड यूनियन के सदस्यों ने आगामी 25 सितंबर और 27 सितंबर को होने वाले भारत बंद में भाग लेने की बात कही.

निजीकरण प्रक्रिया हो बंद
नेताओं ने मांग की कि 151 जोड़ी ट्रेन 109 रूटों पर निजी कंपनियों की ओर से चलाये जाने के फैसले को वापस लेने, रेलवे की जमीन संसाधन उत्पादन इकाईयों और अनुरक्षण वर्कशाप निजी हाथो सौंपने की प्रक्रिया बंद हो और रेलवे के 50 प्रतिशत पदों को सरेंडर करने का फैसला वापस लें.

डीए रोकने का फैसले लें वापस
इसके अलावे तमाम खाली पदों को नयी नियुक्ति और प्रोन्नति प्रक्रिया से भरे, ट्रेनों को बिना गार्ड के ईओटीटी मशीन से चलाने की प्रकिया बंद हो, रनिंग स्टाफ के माइलेज भत्ता के नियम में सुधार कर अविलंब भुगतान करें, केन्द्रीय कर्मचारियों का 18 माह तक डीए रोकने के फैसले को वापस लेकर तुरंत भुगतान की व्यवस्था हो और काम का घंटा 8 के बदले 12 घंटा की घोषणा वापस हो.

सरकार के खिलाफ नारेबाजी
इसके साथ ही सेवा अवधि को 50 वर्ष करने का फैसला वापस लेने, ठेका प्रथा खत्म कर नियमित काम के लिए नियमित बहाली करने की मांग की गई. इस दौरान देशी-विदेशी पूंजीपतियों के इशारे पर राज चलाना बंद करो और अमेरिका सहित साम्राज्यवादियों का पिछलग्गू बनकर देश की आजादी की लड़ाई के शहीदों का अपमान बंद करो का नारा दिया गया.

कई नेता रहे मौजूद
इस सभा को एटक के जिला महासचिव प्रह्लाद सिंह, ऐक्टू के जिला प्रभारी चन्द्र देव वर्मा, सीटू के आर एस राय, इंटक के अशोक शर्मा, एटक के ललन लालित्य, आशुतोष कुमार मुन्ना, ठेका मजदूर नेता ज्ञानी तांती, आईसा के जिलाध्यक्ष अजय कुमार, एस एफ आई के मो. मजहर, एआईवाईएफ के शंभूदेवा, किसान महासभा के नेता बैजू सिंह, किसान सभा के दिनेश सिंह, रामाशिष राय, रानी सिन्हा, अभिनंदन झा, विशुनदेव सिंह, राजनारायण राय, राजेश श्रीवास्तव, नौजवान नेता मो. नूर आलम रामविनय सिंह, शाबरा खातुन ने संबोधित किया.

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