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लॉकडाउन में पतियों ने संभाली रसोई की कमान, तो डबल हो गई रसोई गैस की खपत - domestic gas consumption increased during lockdown

लॉकडाउन का असर पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर भी पड़ा, लेकिन बात एलपीजी सिलेंडर सप्लाई की करें तो आंकड़े चौंकाने वाले हैं. लॉकडाउन के दौरान एलपीजी सिलेंडर सप्लाई अत्यधिक मात्रा में की गई.

begusarai
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Published : Jun 6, 2020, 8:10 PM IST

Updated : Jun 7, 2020, 12:16 PM IST

बेगूसराय: वैसे तो लॉकडाउन के दौरान अमूमन सभी चीजों के डिमांड और सप्लाई काफी कम हो गए थे. लेकिन, बात एलपीजी सिलेंडर की करें तो लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर सदस्यों के घर पर होने के कारण और अच्छे-अच्छे व्यंजन बनाने की वजह से घरेलू गैस की खपत 50 प्रतिशत तक बढ़ गई. इसकी आपूर्ति के लिए गैस कंपनियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी, क्योंकि एक बार अगर सप्लाई चेन टूट जाती तो फिर स्थिति अराजक हो सकती थी.

वितरण के लिए अतिरिक्त ट्रक और गाड़ियां ली गई

लॉकडाउन में बढ़ी घरेलू गैस की खपत
इंडेन गैस के क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारियों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान घरेलू गैस की खपत में अप्रत्याशित इजाफा दर्ज किया गया है. क्षेत्रीय प्रबंधक की माने तो ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि लॉकडाउन के दौरान घर के मेल और फीमेल सभी सदस्य घर पर ही मौजूद थे और लॉकडाउन की वजह से जब बाजार बंद हो गए तो खाने पीने की किसी भी तरह की चीज के लिए लोगों की निर्भरता खुद की रसोई पर बढ़ गई और कई परिवारों में पुरुषों ने भी शौक से रसोई की कमान संभाल रखी थी, जिस वजह से लजीज व्यंजन का दौर लंबे समय तक चलता रहा.

मांग के अनुरूप डोर टू डोर सप्लाई की व्यवस्था की गई

कमर्शियल गैस की मांग में कमी
इस दौरान घरेलू गैस की खपत में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है. वहीं, क्षेत्रीय प्रबंधक ने बताया की इसके ठीक विपरीत कमर्शियल गैस की मांग 90 प्रतिशत तक कम हो गई. क्षेत्रीय कार्यालय के प्रबंधक के मुताबिक सरकार के निर्देश के आलोक में कंपनी को यह टास्क दिया गया था कि लोगों की मांग और आपूर्ति की चेन टूटने ना पाए, जिसको लेकर कंपनी को नाकों चने चबाने पड़े.

देखें पूरी रिपोर्ट

कंपनी ने बढ़े हुए मांग के अनुरूप आपूर्ति के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर काम किया, जिससे मांग के अनुरूप सिलेंडर की आपूर्ति निर्बाध होती रही. वह निम्न बिंदु हैं:

  • बढ़ी हुई मांग को आपूर्ति देने के लिए पूरी चेन को डेवलप करना पड़ा, जिसमें रिफाइनरी से तैयार उत्पाद बॉटलिंग प्लांट को मिले या नहीं मिले, बॉटलिंग प्लांट उतने बॉटलिंग कर पाए या नहीं इस पर खास निगरानी रखी गई.
  • मांग की आपूर्ति के लिए रात के समय और संडे के दिन भी काम शुरू किया गया.
  • मांग के अनुरूप वितरण के लिए अतिरिक्त ट्रक और गाड़ियां ली गई.
    इस वर्ष 6 लाख से ज्यादा सिलेंडर की सप्लाई की गई
  • 18 जिले के सभी वितरण एजेंसी से संपर्क साध कर बढ़े हुए मांग के अनुरूप डोर टू डोर सप्लाई की व्यवस्था की गई.
  • बीते वर्ष अप्रैल 19 की तुलना में इस वर्ष 6 लाख से ज्यादा सिलेंडर की सप्लाई की गई.
  • कोरोना संक्रमण के कारण भयभीत होकर जब वितरण एजेंसी के कर्मी जाने से कतराने लगे तो फिर कंपनी की तरफ से उनके, उनकी पत्नी और दो बच्चों के लिए एक लाख की स्वास्थ्य बीमा करवाई गई.
  • किसी भी प्रकार की घटना या दुर्घटना के लिए कंपनी ने सभी कर्मी और मजदूरों के लिए दो लाख का दुर्घटना बीमा करवाया.
  • इसके साथ ही कंपनी ने यह भी घोषणा कर दी कि अगर किसी भी स्तर पर किसी कर्मी या मजदूर की मौत कोविड-19 के संक्रमण की वजह से होती है तो उनके आश्रितों को 5 लाख मुआवजे के तौर पर दिया जाएगा.
    राजन रंजन,क्षेत्रीय प्रबंधक

लॉकडाउन के दौरान घरेलू गैस की बढ़ी मांग का तुलनात्मक अध्ययन

अप्रैल 2019 में खपत

डोमेस्टिक सिलेंडर-14.2 केजी

वितरण- 11लाख 28 हजार 192

कॉमर्शियल सिलेंडर- 19 केजी

वितरण- 16 हजार 680

अप्रैल 2020 में खपत

डोमेस्टिक सिलेंडर-14.2 केजी

वितरण- 17 लाख 85 हजार 578

कॉमर्शियल सिलेंडर- 19 केजी

वितरण-1704

इस प्रकार 2019 की अप्रैल महीने की तुलना में 2020 में 6 लाख 57 हजार 386 डोमेस्टिक सिलेंडर ज्यादा खर्च हुए.

पॉजिटिव ग्रोथ- 58.27 %

कॉमर्शियल सिलेंडर की बात करें तो

अप्रैल महीने 2019 में जहां 16 हजार 680 सिलेंडर खर्च हुए थे उसकी तुलना में अप्रैल 2020 में मात्र 1 हजार 704 सिलेंडर ही खर्च हुए.

दोनों का अंतर- 14 हजार 976 रहा

नेगेटिव ग्रोथ-(-)89.78 रहा

सभी आंकड़े इस क्षेत्रीय कार्यालय के अधीन वितरण किये जाने वाले बिहार के 18 जिले से संदर्भित हैं.

क्या कहती हैं महिलाएं
लॉकडाउन के दौरान गैस की अत्यधिक खपत हुई ऐसा घरेलू महिलाएं भी बता रही हैं. ऐसे ही एक गृहिणी से ईटीवी भारत संवाददाता ने बात की, जिसमें उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जब उनके पति और बच्चे सभी घर पर ही थे तो तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते थे. कभी-कभी को पति और बच्चे खुद से ही अपने मनपसंद की चीजें बनाने लगते थे, जिस वजह से गैस की काफी खपत हुई, जिसके लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ा.

Last Updated : Jun 7, 2020, 12:16 PM IST

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