बेगूसराय: जिले के बरौनी प्रखंड स्थित मध्य विद्यालय से राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रारंभिक पढ़ाई संपन्न हुई थी. जिस भवन में उन्होंने पढ़ाई की थी वह आज भी खंडहर के रूप में मौजूद है. स्कूल के बच्चे और शिक्षक इस भवन को धरोहर के रूप में जीर्णोद्धार करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन और सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है.
बारो में हुई थी राष्ट्रकवि दिनकर की पढ़ाई संपन्न
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म बेगूसराय जिले के सिमरिया गांव में हुआ था, लेकिन उनकी कक्षा 6 से 8 तक की पढ़ाई पड़ोस के गांव बारो में संपन्न हुई थी. इस विद्यालय में पीढ़ी दर पीढ़ी पढ़ने वाले बच्चों के लिए दिनकर हमेशा से प्रेरणा स्रोत रहे हैं. यही वजह है कि दिनकर के बाद कई पीढ़ियां इस विद्यालय से पढ़कर निकल चुकी है और हर नई पीढ़ी दिनकर के गुणों को आत्मसात करने को आतुर दिखते हैं.
राष्ट्रकवि दिनकर ने इसी विद्यालय में की थी पढ़ाई मध्य विद्यालय बारो में जैसे आप प्रवेश करेंगे. वैसे ही दिनकर की कविताएं आप को रोमांचित करने लगेंगी. क्योंकि हर बच्चा दिनकर की कविता गाने में महारत हासिल कर रखा है. विद्यालय के तमाम शिक्षक लगातार बच्चों को राष्ट्रकवि दिनकर की प्रसिद्ध कविताएं और काव्य ग्रंथों के बारे में पढ़ाते और सिखाते आए हैं.
भवन को संग्रहालय की तरह किया जाए विकसित
छात्र नीतीश कुमार का कहना है कि राष्ट्रकवि दिनकर की लिखी कविता पाठ करते समय वह काफी रोमांचित महसूस करते हैं. वह भी बड़ा होकर अपने गांव और इलाके का नाम रोशन करना चाहते है. नीतीश और अन्य छात्रों की एक ही मांग है कि दिनकर ने बचपन में जिस भवन में पढ़ाई की. वह पूरी तरह से जर्जर हो गया है. उसे बिना तोड़े उसका जीर्णोद्धार किया जाए और दिनकर की याद में इस भवन को संग्रहालय की तरह विकसित किया जाए.
बिना तोड़े किया जाए विकसित
स्कूल के हेडमास्टर विजय कुमार ने बताया कि वे काफी सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें इस स्कूल में प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी मिली है, जहां कभी राष्ट्रकवि दिनकर ने पढ़ाई की थी. विद्यालय के प्रिंसिपल अपने आप पर काफी गौरवान्वित महसूस करते हैं और बताते हैं उनका यह प्रयास होता है कि बच्चों के बीच राष्ट्रकवि दिनकर की कविताओं और और उनके सिद्धांतों को ज्यादा से ज्यादा समझाया जाय. उन्होंने बताया कि पूरा विद्यालय परिवार यही चाहता है कि दिनकर जी जिस भवन में पढ़ते थे. उसे बिना तोड़े और ध्वस्त किए उसी प्रारूप में विकसित किया जाए.