बेगूसरायः बिहार में पढ़े लिखे बेरोजगार युवा नौकरी नहीं मिलने पर अपनी योग्यता ताख पर रखकर कोई भी पेशा चुनने को मजबूर हैं. इसकी जीती जागती मिसाल है बेगूसराय का जहांगीर, जिसने सपना तो देखा था शिक्षक बनने का लेकिन आज वो ई-रिक्शा चलाकर अपनी जीवन की गाड़ी को खींच रहा है. अपने रिक्शे पर उसने 'सीटेट पास ई-रिक्शा वाला' (CTET Pass E-Rickshaw Wala) की प्लेट भी लगा रखी है. जहांगीर और इनका ये रिक्शा इन दिनों इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया. जिसे पीलीभीत (यूपी) से भाजपा सांसद वरुण गांधी (varun gandhi tweet on Bihar boy driving e rickshaw) ने भी अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर तंज कसा है, जो देशभर में वायरल हो रहा है.
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सीटीईटी पास करने के बाद भी नहीं बन सके टीचरः दरअसल बेगूसराय जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर भगवानपुर थाना क्षेत्र के चंदौर गांव निवासी 25 वर्षीय मोहम्मद जहांगीर की दो बार सीटीईटी पास करने के बावजूद शिक्षक नहीं बन पाए. जिस वजह से परिवार के भरण-पोषण के लिए व ई रिक्शा चलाने लगे. इतना ही नहीं मोहम्मद जहांगीर अपने ई रिक्शा में सीटीईटी पास रिक्शावाला का बोर्ड भी लगा लिया है, ताकि कोई भी यात्री जहांगीर को पढ़ा लिखा समझ कर उसके साथ दुर्व्यवहार नहीं करे. मोहम्मद जहांगीर ने दो माह पहले ही मुख्यमंत्री परिवहन योजना से ऋण लेकर ई रिक्शा खरीदा और 2 माह से लगातार वह भगवानपुर प्रखंड से लेकर तेघड़ा बाजार के बीच चलाने का काम कर रहे हैं.
'2019 में सीटेट करने के बाद जब हमसे एक बैच पहले तक के सीटेट पास को ही आवेदन की अनुमति मिली तो मन उदास हो गया. घर पर रहने की मजबूरी थी, माता-पिता दोनों बीमार रहते थे. ट्यूशन पढ़ाने से घर खर्च भी नहीं निकल पा रहा था. इसी बीच मुख्यमंत्री परिवहन योजना के बारे में जानकारी मिली. इसके बाद योजना में आवेदन कर दिया. चयनित होने पर 1.65 लाख का ई-रिक्शा 95 हजार रुपये में मिला. हमारी उम्र अभी 26 साल है. बेगूसराय में अब भी ढाई हजार पद रिक्त हैं. सरकार जल्द से जल्द बहाली निकालती है, तो सीटेट पास सभी युवाओं की मेहनत सफल हो जाएगी'-मोहम्मद जहांगीर, ई-रिक्शा चालक