बेगूसराय: राज्य शिक्षा व्यवस्था का हाल किसी से छुपा नहीं है. सरकार भले सुधार और विकास में करोड़ों खर्च कर रही हो. लेकिन, जमीनी स्तर पर उनकी कोशिशें सफल होती नहीं दिख रही हैं. बेगूसराय के सरकारी स्कूलों में मॉडल स्कूलों जैसी सुविधा मिल सके इसके लिए 3 वर्ष पहले 9 करोड़ 15 लाख रुपए खर्च करके 5 मॉडल स्कूल बनाए गए थे. खूब धूमधाम से स्कूल का उद्घाटन भी हुआ. लेकिन, स्कूल का लाभ बच्चों को मिल पाता उससे पहले ही इन विद्यालय भवनों में ताला लग गया.
करोड़ों की लागत से बने स्कूल आज खंडहर में तब्दील हो गया है. इस मॉडल स्कूल में कुछ महीने पहले बच्चों की क्लासेज भी शुरू की गई. लेकिन, हालत जर्जर होने के कारण बच्चे विद्यालय में जाना नहीं चाहते है. हाल यह है कि गांव के कुछ लोग मॉडल स्कूल की दीवारों और परिसर में गोबर के उपले सुखाते हैं.
निजी कामों में इस्तेमाल हो रहा स्कूल
मालूम हो कि इस स्कूल का प्रयोग लोग अपने निजी कामों के लिए कर रहे हैं. कोई यहां मवेशी पालता है, तो कोई उपले सुखाता है. विद्यालय असामाजिक तत्वों का रैन बसेरा बन गया है. बेगूसराय जिले के उलाव गांव में स्थित मॉडल विद्यालय भी आज जर्जर खड़ा है. इसे बनाने में कुल 1 करोड़ 83 लाख रुपये की लागत आई थी. स्कूल भवन को कुछ स्थानीय ग्रामीण तबेला बनाने पर तुले हुए हैं. विद्यालय के सौंदर्यीकरण के लिए खिड़की और अन्य जगहों पर लगे शीशे टूट गए हैं.