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बांका: 18 लाख की लागत से शुरू हुई थी नल जल योजना, 2 दिन ही आया पानी - banka latest news

अमरपुर प्रखंड के कटोरिया गांव में 9 महीने पहले 18 लाख की लागत से नज योजना की शुरुआत हुई थी. लेकिन 2 दिन पानी आने के बाद से यह पूरी तरह से ठप पड़ा है. लोगों ने बताया कि पानी इतना गंदा था कि पीना तो छोड़िए कपड़ा धोने के भी लायक नहीं था. गांव के लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं.

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Published : Aug 27, 2020, 12:05 AM IST

बांका(अमरपुर):सीएम नीतीश कुमार के सात निश्चय योजना में शामिल नल जल योजना का हाल किसी से छिपा नहीं है. लोगों को नल जल योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. कमोबेश यही स्थिति अमरपुर प्रखंड के कटोरिया गांव की भी है. जहां 9 महीने पहले ही 18 लाख की लागत से नल जल योजना का काम पूरा हुआ. जब लोगों के घरों पर शुद्ध पेयजल पाइप के माध्यम से पहुंचाने की बारी आई. तो लोगों को मात्र दो दिन ही पानी मिल पाया. पानी इतना गंदा था कि वह किसी लायक नहीं था. ग्रामीणों ने बताया कि कई दफा संवेदक से इसकी शिकायत की गई, लेकिन संवेदक गांव आया ही नहीं. अधिकारियों से भी शिकायत की गई, लेकिन कोई सुधी नहीं ली आया.

18 लाख से नल-जल योजना का काम हुआ था पूरा
ग्रामीण मुनव्वर हुसैन ने बताया कि गांव में पेयजल की समस्या गंभीर है. नल से लाल और कीचड़ युक्त पानी आता है. जो किसी काम का नहीं है. इसका मुख्य कारण यह है कि संवेदक ने मनमानी कर नाले के पास ही बोरिंग करा दिया. मना करने के बाद भी संवेदक पर इसका कोई असर नहीं हुआ. इससे बेहतर गांव के पास बांध का पानी है. 9 महीने पहले ही 18 लाख की लागत से नल जल योजना का काम पूरा किया गया है. जब लोगों को पानी देने की बारी आई तो गंदा पानी मिला. पंप संचालक की मनमानी से भी लोग परेशान है. लोगों ने गुस्से में आकर नल ही तोड़ दिया. लोगों का कहना है कि जब पानी ही नहीं मिलता है तो नल रख कर क्या किया जाएगा.

'पीने को शुद्ध पेयजल नहीं'
ग्रामीण मो. गुलफराज ने बताया कि नल जल योजना का काम पूरा होने के बाद लोगों में आस जगी कि अब पीने को शुद्ध पेयजल मिलेगा. लेकिन लोगों का यह हसरत अधूरी रह गई. पीने की बात छोड़िए पानी कपड़ा धोने लायक नहीं है. संवेदक की मनमानी का खामियाजा यहां के लोग भुगत रहे हैं. पंप संचालक की मनमानी भी चरम पर है. प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक के अधिकारियों को पेयजल के लिए शिकायत की गई. लेकिन कोई भी अधिकारी कटोरिया गांव आना मुनासिब नहीं समझा. अब लोग शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान के लिए कोई अधिकारी जहमत नहीं उठा रहे हैं.

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