बांका: जिले में सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को खाने के लाले पड़ने लगे हैं. किसानों का परिवार पूरी तरह से खेती पर निर्भर है. कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर हुए लॉक डाउन से बाजार बंद हैं. सब्जियां खेतों में सड़ रही हैं या फिर किसान औने-पौने दाम पर बेचने को विवश हो रहे हैं. लॉक डाउन की मार ने किसानों के चेहरे पर मायूसी ला दी है.
व्यापक स्तर पर होती है सब्जी की खेती
जिले के अमरपुर प्रखंड के कल्याणपुर गांव में ढाई सौ बीघे में सब्जी की खेती की जाती है. जिसमें मुख्य रुप से कद्दू, भिंडी, खीरा, करेला, बैंगन, हरी मिर्च, नेनुआ सहित अन्य फसलों की खेती होती है. लॉकडाउन के कारण अधिकांश किसानों की सब्जियां और खेतों में ही सड़ने लगी हैं. जिससे किसानों के सामने भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. दरअसल, जिले के किसान हरी सब्जियों के पैदावार पर ही निर्भर होते हैं. लेकिन इस बार लॉक डाउन के कारण मार्केट बंद है.
किसानों ने सुनाई आपबीती
सब्जी किसान रामदयाल कापरी बताते हैं कि व्यापारियों के नहीं आने से सब्जी बाहर नहीं जा पा रही है. गांव में कुछ छोटे व्यापारी आते हैं. 20 रुपए में बिकने वाला कद्दू अब मजबूरन 2 रुपए में बेचना पड़ रहा है. किसान सुशील कापरी बताते हैं कि लॉक डाउन की वजह से व्यापारी गांव नहीं पहुंच रहे हैं. फिलहाल 4 से 5 रुपए किलो सब्जी बेचनी पड़ रही है. व्यापारी नहीं आने और मुनाफा नहीं होने की वजह से खेतों में लगी सब्जियों का पटवन भी करना बंद कर दिया गया है.
गांव से रोजाना निकलती 20 ट्रक सब्जियां
वहीं, सब्जी किसान वीरेंद्र महतो बताते हैं कि लॉक डाउन की वजह से घर पर हैं. कहीं निकल नहीं पा रहे हैं. लॉक डाउन से पहले इस समय गांव में व्यापारियों का तांता लगा रहता था. गांव से रोजाना 20 से अधिक ट्रकों में सब्जियां भरकर बिहार के विभिन्न जिलों के साथ ही पटना और दिल्ली के आजादपुर मार्केट तक भेजा जाता था. साथ ही उन्होंने बताया कि लॉक डाउन की वजह से सब कुछ बर्बाद हो गया है. स्थिति यह है कि 2500 से 3000 रुपए क्विंटल बिकने वाला करेला 3 से 5 रुपए किलो में मजबूरन बेचना पड़ रहा है.