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बांकाः विश्व प्रसिद्ध कांवरिया पथ पर बने पुल का दूसरा पाया भी घंसा

ग्रामीणों ने बताया कि पुल क्षतिग्रस्त होने का मुख्य कारण बेतरतीव बालू का उठाव है. पुल के चारों तरफ से बालू की खुदाई की वजह से पुल के पाया की नींव कमजोर हो गई है.

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Published : Feb 8, 2021, 11:28 AM IST

बांकाः जिले के बेलहर प्रखंड अंतर्गत विश्व धौरी और कुमारसर के बीच बहने वाली बदुआ नदी पर बने पुल का दूसरा पाया भी धंसने लगा है. यह पुल विश्व प्रसिद्ध कांवरिया पथ पर है इसलिए इसकी महत्ता अधिक है. यह पुल बांका को मुंगेर और भागलपुर के साथ-साथ देवघर को आपस में जोड़ने में कड़ी का काम करता है. पुल क्षतिग्रस्त हो जाने से मुंगेर और बांका जिले के पांच दर्जन से अधिक गांवों का सीधा संपर्क टूट जाएगा.

पुल क्षतिग्रस्त होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण बेतरतीव बालू उठाव माना जा रहा है. इस पुल का निर्माण कार्य 2006 में प्रारंभ हुआ था. 7 करोड़ की लागत से इस पुल का निर्माण कार्य 2010 में पूरा हुआ था.

बालू उठाव की वजह से धंसा पुल का पाया
बदुआ नदी पर बने पुल के पूर्वी छोर स्थित सातवां पिलर चार महीने पहले ही धंस चुका है. पिलर धसने के बाद पथ निर्माण विभाग बांका के कार्यपालक अभियंता श्रीकांत शर्मा सहायक अभियंता प्रशांत कुमार और कनीय अभियंता जयकांत सिंह ने क्षतिग्रस्त पुल पर पहुंच कर वस्तुस्थिति का जायजा भी लिया था. तत्काल पुल पर दोनों छोर पर सुरक्षा दीवार बनाकर भारी वाहनों का आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी. लेकिन अब दूसरे पिलर के भी धंस जाने से पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होने लगा है. इससे स्थानीय लोगों को आवाजाही की चिंता सताने लगी है.

घंसा पाया

कमजोर हो गई पाये की नींव
ग्रामीणों ने बताया कि पुल क्षतिग्रस्त होने का मुख्य कारण बेतरतीव बालू का उठाव है. पुल के चारों तरफ से बालू की खुदाई की वजह से पुल के पाया की नींव कमजोर हो गई है. अधिकारियों ने भी माना कि पाये के चारों तरफ बालू उठाव के कारण ही पुल का पाया धंसा है.

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ग्रामीणों को लगाना पड़ेगा 15 किलोमीटर का चक्कर
स्थानीय लोगों को इस बात की चिंता सता रही है कि पुल क्षतिग्रस्त हो जाने से उन्हें अब करीब 15 किलोमीटर का चक्कर लगाकर घर या बाजार आना-जाना पड़ेगा. विश्व प्रसिद्ध कांवरिया मेले में कांवरियों की सुविधा और मुंगेर तथा बांका जिले के अनेकों गांव को जोड़ने के लिए पूर्व विधायक जनार्दन मांझी के अथक प्रयास से इस पुल का निर्माण कराया गया था. नदी में पुल नहीं रहने के कारण श्रावणी मेले में अनेकों कांवरिया बरसात की बाढ़ में बह जाते थे.

क्षतिग्रस्त पुल

आवाजाही में होती थी परेशानी
बांका जिले के दर्जनों गांव का मुख्य बाजार मुंगेर जिले का संग्रामपुर बाजार था. यहां आवाजाही में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. लेकिन पुल बन जाने से ग्रामीणों को इन सारी समस्याओं से निजात मिल गया था. ऐसे में फिर से पुल क्षतिग्रस्त होने से लोगों की परेशानियां बढ़ जाएंगी.

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