बांकाः एक दर्जन गांव के लोग जिस सड़क से आते-जाते हैं, उसकी स्थिति बदहाल है. सड़क कच्ची है. रोजाना एक हजार लोग इधर से गुजरते हैं. लोग गिरते-पड़ते गंतव्य को पहुंचते हैं. क्योंकि सड़क पर गड्ढे बने हुए हैं. बरसात में पूरी सड़क कीचड़ में तब्दील हो गई है. स्थानीय निवासियों ने कहा, 'जब से मैं पैदा हुआ हूं, तब से यह सड़क बनी ही नहीं है.' हम बात कर रहे हैं ककबार पंचायत के कोरीचक गांव (Korichak Village) की. बांका (Banka) जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर यह गांव है.
यह भी पढ़ें- हौसले को सलाम, जब 'सरकार' ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद पैसे जोड़कर बना लिया पुल
यहां सड़कों की स्थिति इस कदर बदहाल हो गई है कि दो चक्का और चार चक्का वाहन तो छोड़िए, लोगों को पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है. कोरीचक से जाने वाली सड़क कामतपुर सनहौला, फुल्लीडुमर सहित दर्जनों गांव को जोड़ती है. बारिश के दिनों में लोगों की परेशानी बढ़ जाती है. मजबूरन लोगों को कीचड़मय सड़क से होकर गुजरना पड़ता है. यदि गांव में कोई बीमार पड़ जाए, तो उसे खाट पर ही लिटा कर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है.
सड़क की बदहाल स्थिति रहने की वजह से दो दिन पूर्व ही खाट पर अस्पताल ले जाने के क्रम में एक गर्भवती महिला की मौत हो गई थी. हजारों लोगों की आबादी वाले इस इलाके में न तो जिला प्रशासन की नजर है और न ही कोई जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे हैं.
'जब से होश संभाला है, तब से इसी कच्ची सड़क पर चल रहा हूं. आजादी के बाद भी सड़क का निर्माण कार्य नहीं हो सका. मजबूरन लोगों को बारिश के दिनों में कीचड़ से सने रास्तों पर चलना पड़ता है. पहाड़ी इलाका होने की वजह से लोगों को काफी कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है. गांव में यदि कोई बीमार पड़ जाए, तो उन्हें वाहन पर ले जाना मुश्किल है. क्योंकि गांव तक गाड़ियां आ नहीं पाती हैं. इसलिए मजबूरन खाट पर लिटा कर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है.'-नवीन पंडित, ग्रामीण
'जिला प्रशासन से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि तक के पास सड़क निर्माण के लिए कई बार आग्रह किया गया. इसको लेकर कई बार आवेदन भी दिया गया. लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. स्थिति यह है कि बदहाल सड़क के चलते दो दिन पूर्व ही समय पर अस्पताल नहीं ले जाने की वजह से एक गर्भवती महिला की मौत हो गई. क्योंकि कोई व्यवस्था नहीं रहने की वजह से गर्भवती महिला को खाट पर ही ले जाया जा रहा था. सड़क पूरी तरह से कीचड़ में तब्दील हो चुकी है. लोगों को चलना मुश्किल हो गया है.'-सुनील कुमार यादव, समाजसेवी
'कोरीचक कामतपुर, सनहोला सहित अन्य गांव में सड़क की बात छोड़िए. ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल भी नहीं मिल पा रही है. लगातार आवाज उठाने के बाद भी ग्रामीणों की इस विकट समस्या पर किसी जनप्रतिनिधि ने ध्यान नहीं दिया. चुनाव जीतकर जो जाते हैं, दोबारा लौटकर इस इलाके में नहीं आते हैं. विभिन्न राजनीतिक दल के प्रतिनिधि सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करते हैं. उन्हें जनता की समस्या को दूर करने से कोई मतलब नहीं रह गया है.'-पप्पू कुमार मंडल, ग्रामीण
यह भी पढ़ें- बांका में जल्द शुरू होगा रोपवे, 2 दिन में किया जाएगा ट्रायल- रेणु देवी