बांकाः ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में पर्यावरण संरक्षण में पेड़ों का महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन सड़क निर्माण के नाम पर यदि विशालकाय पेड़ों को मरने के लिए छोड़ दिया जाए तो सरकार के क्या कहने? यही स्थिति जिले के पंजवारा से घोघा तक बन रहे स्टेट हाईवे के निर्माण का है. बिहार राज्य सड़क निर्माण निगम पंजवारा से बांका तक लगभग 45 किलोमीटर लंबी स्टेट हाईवे बना रही है.
165 पेड़ों की शिफ्टिंग
सड़क चौड़ीकरण में विशालकाय पेड़ आड़े आ रहे थे. इसे देखते हुए दिल्ली की रोहित नर्सरी नामक कंपनी ने 70 लाख की लागत से 165 पेड़ों की शिफ्टिंग की. पेड़ों की शिफ्टिंग के एक साल बाद तक इसकी देखरेख करनी थी, लेकिन कार्य एजेंसी की लापरवाही की वजह से सारे फलदार पौधे मृत हो गए. बरगद और पीपल के मात्र 25 पौधे ही किसी तरह जिंदा बच पाए.
"स्टेट हाईवे बनाने के दौरान जिस कार्य एजेंसी को विशालकाय पेड़ को शिफ्ट करने के लिए ठेका दिया गया था उसने 165 पेड़ को शिफ्ट तो कर दिया, लेकिन उनकी देखरेख नहीं की. जिन पेड़ों को शिफ्ट किया गया है उनमें बरगद, पीपल, आम, इमली सहित अन्य फलदार पौधे भी शामिल थे. इलाके के राहगीरों को जहां पेड़ की छाया मिल जाती थी वहीं आसपास के इलाके की आबोहवा भी ठीक रहती थी. लेकिन सड़क निर्माण के नाम पर पुराने विशालकाय पेड़ को मरने के लिए छोड़ दिया गया. जिला प्रशासन ने न इसकी सुधि ली और न ही बिहार राज्य सड़क निर्माण निगम ने इस ओर कोई ठोस पहल की." -
जयप्रकाश गुप्ता, पर्यावरण संरक्षक वन विभाग ने भी नहीं दिया ध्यान
पंजवारा से घोघा स्टेट हाईवे पर पंजवारा से बटसार के बीच 21 किलोमीटर तक कुल 165 पेड़ों को उखाड़कर हाइड्रा मशीन के जरिए लगाया गया था. वन विभाग को इस पर खास नजर रखना था, लेकिन विभाग ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.
कीड़े की वजह से सूख जाते हैं पेड़
कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ. मुनेश्वर प्रसाद ने बताया कि पुराने पेड़ को दूसरे जगह से उखाड़कर लगाने से उसका मूल जड़ टूट जाता है. नया जड़ बनने में एक से डेढ़ महीने लग जाते हैं. साथ ही जब पेड़ की डाली को काटने से जो हार्मोन निकलता है उसके गंध के कारण तना छेदक कीड़ा उस पर बैठ जाता है. वह पेड़ को सुखाने का काम करता है.
जल-जीवन-हरियाली के नाम पर करोड़ों खर्च
बता दें कि बिहार सरकार जल-जीवन-हरियाली योजना के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. इसके तहत पेड़ों को संरंक्षित करने का काम भी किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर वन विभाग की लापरवाही की वजह से पेड़ सूख रहे हैं. विभाग को इस ओर ठोस कदम उठाने की जरूरत है नहीं तो इसी तरह पेड़ सूखकर खत्म होते रहेंगे.