अररिया:विश्व रेबीज दिवस के मौके पर जिला के सदर अस्पताल में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया. सर्जन अजय कुमार ने बताया कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए मरीज को रेबीज की सूई दी जाती है. यह कुत्ता, चमगादड़, सियार, बंदर जंगली बिल्ली के काटने से होता है. इन जानवरों के काटने के तुरंत बाद सबसे पहले जख्म को डिटर्जेंट पाउडर से 15 से 20 मिनट तक धोएं और बीटाडीन क्रीम लगाएं. इन जानवरों के काटने के 24 घंटे के अंदर रेबीज का पहला सूई लेना जरूरी है.
सदर अस्पताल में रेबीज को लेकर लोगों को किया गया जागरूक, डॉक्टरों ने बताये बीमारी की रोकथाम के उपाय
साल में सिर्फ एक बार 80 रूपए की एक सूई लगवाने से कुत्ते में रेबीज की समस्या खत्म हो जाती है. अगर कुत्ता काटने के एक सप्ताह बाद मर जाता है, तो समझ जाएं कि कुत्ता में रेबीज था. जिसके बाद मरीज को उचित उपचार लेना चाहिये.
मरीजों पर खतरा बना रहता है
डॉ. अजय कुमार ने कहा कि साल में सिर्फ एक बार पालतू कुत्ते को 80 रूपए की सूई लगवाने से कुत्ते में रेबीज की समस्या खत्म हो जाती है. अगर कुत्ता काटने के एक सप्ताह बाद मर जाता है, तो समझ जाएं कि कुत्ते को रेबीज था. कुत्ते के काटने के बाद मरीज को 5 सूई लेनी चाहिए. 70% पालतू कुत्तों को रेबीज की सूई दी जाए तो 99% रेबीज पर काबू पाया जा सकता है. अगर समय पर मरीज को रेबीज की सूई नहीं दी गई तो मरीजों में खतरा बना रहता है.
कुत्ता के काटने से रेबीज फैल जाता है
डॉक्टर ने बताया कि लोगों की आम धारणा होती है कि अगर कुत्ता किसी गाय को काट ले तो उस गाय का दूध पीने से रेबीज फैल जाता है. लेकिन दूध के माध्यम से रेबीज नहीं फैलता, क्योंकि लोग दूध को उबालकर ही पीते हैं.तेज बुखार, शरीर मे अकड़न, पानी देख कर डर लगना रेबीज वाले कुत्ते के काटने के लक्षण हैं.