अररिया: जिले के डीआरडीए सभा भवन में राष्ट्रीय पोषण अभियान के दूसरे वर्षगांठ पर पोषण पखवाड़ा की शुरुआत की गई. इसको लेकर जिले में 8 मार्च से लेकर 22 मार्च तक पखवाड़ा के रूप में मनाया जाएगा. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पूरे जिले में जागरुकता अभियान चला रही है. इस अभियान में पुरुषों की जिम्मेदारी भी तय की गई. इसको लेकर सैकड़ों लोगों ने सीएस की मौजूदगी में कुपोषण को दूर करने की शपथ ली.
अररिया: 8 से 22 मार्च तक पोषण पखवाड़े का आयोजन, गांव में जाकर लोगों को किया जाएगा जागरूक
कुपोषण स्तर में कमी लाने के उद्देश्य से पोषण अभियान संचालित किया जा रहा है. इसको लेकर 8 मार्च से 22 मार्च तक पोषण पखवाड़ा मनाया जाएगा. इस कार्यक्रम के तहत आईसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग के लोग ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर महिला और पुरुषों को कुपोषण को लेकर जागरूक करेंगे.
'ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को किया जाएगा जागरूक'
इस बाबत जिला कार्यक्रम प्रबंधक रेहान अशरफ ने कहा कि राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत पूरे देश में पोषण पखवाड़ा मनाया जा रहा है. इस अभियान के दूसरी वर्षगांठ पर 8 मार्च से लेकर 22 मार्च तक पूरे प्रदेश भर में पखवाड़े के रूप में मनाया जाएगा. आईसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग के लोग ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर महिला और पुरुषों को जागरूक करेंगे. इस अभियान में पुरुषों की जिम्मेदारी को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. कार्यक्रम के तहत महिलाओं के गर्भवास्था से लेकर बच्चे के जन्म तक उसके खानपान पालन पोषण रहन-सहन पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. इन सभी कार्यक्रमों के अलावे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की ओर से एनीमिया कैंप और पोषण मेले का आयोजन किया जाएगा.
कुपोषण मुक्ति के लिए सामूहिक प्रयास
गौरतलब है कि पोषण अभियान की शुरुआत 8 मार्च 2018 को राजस्थान से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुरूआत की थी. इस अभियान का मकसद तकनीक के समावेशन के साथ-साथ कुपोषण, रक्त हीनता और बच्चों में कम वजन की समस्या दूर करना है. किशोरी बालिकाओं तथा गर्भवती महिलाओं के लिए कुपोषण मुक्ति के लिए सामूहिक प्रयास किया जाना है. अभियान के तहत अगले कुछ वर्षों के लिए कुछ खास लक्ष्य भी तय किये गये हैं. पोषण पखवाड़ा के दौरान समाज कल्याण निदेशालय नुक्कड़ नाटक, लोक गीत, पोषण मेला, गांवों में स्वास्थ्य, स्वच्छता व पोषण दिवस, साइकिल रैली, किशोरियों के लिए जागरूकता शिविर चलाए जाएंगे. बता दें कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार बिहार में 48.3 फ़ीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार है. वहीं, पूरे देश की बात की जाए तो 59 प्रतिशत कुपोषित बच्चे हैं.