अररिया: ईटीवी भारत की खबर का दमदार असर हुआ है. नर्सिंग होम में गर्भवती की मौत मामले में एसडीओ, सीओ और प्रभारी सिविल सर्जन ने फर्जी डॉक्टर के. एस. दास के अवैध नर्सिंग होम में छापेमारी की और नर्सिंग होम को सील कर दिया. बता दें कि दो दिन पूर्व यहां एक महिला का गर्भपात कराया गया था, जिस दौरान महिला की मौत हो गई थी. प्रभारी सिविल सर्जन ने बताया कि यह डॉक्टर फर्जी है. इस मामले में पी.एन.डी.टी एक्ट और अवैध नर्सिंग होम संचालन को ले केस दर्ज किया जाएगा.
ईटीवी भारत ने उठाया था मुद्दा
अररिया में गर्भपात के दौरान एक फर्जी नर्सिंग होम में महिला की मौत के मामले को प्रमुखता से उठाते हुए ईटीवी भारत ने पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाया था. लगातार तीन दिनों तक इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद प्रशासन शनिवार को आखिरकार हरकत में आ गई है. अररिया सदर एसडीओ रोजी कुमारी स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की टीम लेकर आजाद नगर के पीछे स्थित उस नर्सिंग होम में पहुंची. जहां की हालत देखकर टीम भी हैरान थी. नर्सिंग होम में कोई डॉक्टर या स्टॉफ घटना वाले दिन से ही नहीं है. अधिकारी भी इस बात को स्वीकार रहे हैं कि आखिर ऐसे कथित नर्सिंग होम कैसे शहर के बीचों बीच चल रहे हैं.
अवैध नर्सिंग होम पर चला जिला प्रशासन का डंडा फर्जी नर्सिंग होम को सील करने की कार्रवाई
एसडीओ ने इस फर्जी नर्सिंग होम को सील करने का आदेश दिया है. सील करने की कार्रवाई नगर थाना पुलिस कर रही है. साथ ही उस मकान के मालिक की भी तलाश शुरू हो गई है, जिससे यहां फर्जी नर्सिंग होम चलाने के लिए मकान दिया है. स्वास्थ्य विभाग के एसएमओ डॉ एमपी गुप्ता ने कहा कि अब इस तरह के जितने फर्जी नर्सिंग होम चल रहे हैं उसको सील करने की कार्रवाई शुरू की जा रही है. इसके लिए कमेटी बनाई जा रही है और इसके लिए हाई लेवल मीटिंग जल्द होगी. प्रशासन की इस कार्रवाई से जिले में बिना सुविधा और जायज डॉक्टर के चल रहे नर्सिंग होम के संचालकों में हड़कंप मच गया है.
कार्रवाई की जानकारी देते प्रभारी सीएस बुधवार को महिला की गर्भपात के दौरान हो गई थी मौत
गौरतलब है कि बुधवार को ओमनगर की एक महिला की मौत गर्भपात के दौरान हो गई थी. पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, प्रशासन सबकी मौन सहमति के कारण दलालों ने मृतक के गरीब परिजनों को पैसे देकर केस करने से मना कर दिया था. इसको लेकर ईटीवी ने प्रमुखता से खबर चलाया था. जिसमें सवाल उठाया गया था कि तय मापदंड के बिना गर्भपात कराने गैर कानूनी है तो उसकी दौरान हुई मौत के बाद भी केस क्यों नहीं दर्ज किया गया. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया.