पटना: संसद में पिछड़ा और अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर 127वें संविधान संशोधन को मंजूरी दी जा चुकी है. संशोधन बिल पारित होने से राज्य सरकारों को ओबीसी लिस्ट (OBC List) तैयार करने का अधिकार मिल गया है और कई विवादास्पद मुद्दे भी अब सुलझाए जा सकेंगे. लेकिन अति पिछड़ों के हितों को लेकर बिहार सरकार (Bihar Government) गंभीर दिखाई नहीं देती है.
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10 अगस्त 2021 को पिछड़ा वर्ग से संबंधित 127 वां संविधान संशोधन बिल पारित हो गया. केंद्र की सरकार ने बिल को पेश किए जाने के बाद बताया कि संविधान संशोधन बिल से राज्य सरकारों को सूची तैयार करने का अधिकार मिल जाएगा. राज्य सरकार सूची (OBC List bihar) को लेकर अंतिम फैसला ले सकेगी.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद 1993 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया था. राज्य स्तर पर भी पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया था. लालू प्रसाद यादव की सरकार ने बिहार में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था और कुछ समय बाद नीतीश कुमार की सरकार ने अति पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया. लेकिन पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा हासिल नहीं था.
नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2019 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया और 10 अगस्त 2021 को लोकसभा में ओबीसी आरक्षण को लेकर 127 वां संविधान संशोधन बिल पारित किया गया. बिहार में 200 से अधिक जातियां हैं. बिहार में पिछड़ा अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महादलित के साथ-साथ सामान्य वर्ग शामिल हैं. राज्य में कुल 144 जातियां ओबीसी में शामिल हैं, जबकि 113 जातियां अति पिछड़ा और 31 जातियां पिछड़ा वर्ग के तहत हैं.
केंद्र की सरकार ने विपक्ष के दबाव में संशोधन बिल पारित कराया है. लेकिन पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग आयोग को लेकर बिहार सरकार उदासीन है और 6 साल से अधिक समय से आयोग निष्क्रिय है.- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता
आपको बता दें कि पहले 1950 और फिर 1970 के दशक में काका कालेलकर और बीपी मंडल के अध्यक्ष की अध्यक्षता में 2 पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया था. 1992 में इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह लाभ और सुरक्षा के उद्देश्य से विभिन्न पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करें.
पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कब होगा यह विषय राज्य सरकार का है. यह राज्य सरकार को तय करना है लेकिन 127 वां संविधान संशोधन के लिए नए केंद्र सरकार को बधाई देता हूं.-अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता