पटना: लोकसभा चुनाव की समाप्ति के बाद सबकी निगाहें अब मतगणना पर टिकी हैं. इस बीच राजधानी में कम वोटिंग प्रतिशत चर्चा का विषय बना है. ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाके के वोटर मतदान को लेकर ज्यादा उत्साहित नजर नहीं आए. इस मामले पर की लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया जताई.
वोटिंग में शहरी वोटर्स को रूचि नहीं
पटना साहिब लोकसभा सीट पर पूरे बिहार में सबसे कम मतदान हुआ है. खासकर पटना के अगर शहरी क्षेत्र की बात करें तो यह मतदान के मामले में सबसे फिसड्डी साबित हुआ है. इस बार पटना साहिब का मतदान प्रतिशत 43.54 % रहा है. जिसमें बांकीपुर में 37.53% कुम्हरार में 37.76% और दीघा में 39.53% मतदान हुआ है. गौर करने वाली बात यह है कि पटना साहिब के यह तीनों विधानसभा क्षेत्र शहरी क्षेत्र में आते हैं. यहां सबसे अधिक आदर्श मतदान केंद्र बनाए गए थे. फिर भी कम वोटिंग प्रतिशत चिंता का विषय बना हुआ है.
कम वोटिंग प्रतिशत पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं सवर्णों का वर्चस्व खत्म इसीलिए वोटिंग में कम हुई उनकी रुचि-राजद
कम वोटिंग प्रतिशत के मामले पर राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि शहरों में मध्यमवर्गीय परिवारों का एक बड़ा तबका रहता है. इन मध्यमवर्गीय परिवारों में सवर्ण जातियों की संख्या अधिक है. पुराने दौर में एक समय था कि जब अति पिछड़ा मतदान में ज्यादा हिस्सा नहीं लेते थे और इलाके के दबंग सवर्णों के कहने पर वहां मतदान करते थे. लेकिन जैसे जैसे लोकतंत्र मजबूत हुआ और समाज का पिछड़ा वर्ग वोटिंग में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगे. इससे सवर्णों का वर्चस्व खत्म हो गया. इससे लोकतंत्र में उनकी रुचि कम हो गयी. इसीलिए वह लोग मतदान कम करते हैं. सवर्णों के पास जो था वही खत्म हो गया इसलिए उनकी वोटिंग से रूचि खत्म हो गई.
जनता से सीधे तौर पर जुड़ाव नहीं होना प्रमुख कारण- समाजशास्त्री
वहीं इस मामले में समाजशास्त्री प्रोफ़ेसर अजय झा बताते हैं कि पटना साहिब में दो बड़े नेता मैदान में थे लेकिन दोनों नेताओं में किसी का भी जनता से सीधे तौर पर जुड़ाव नहीं था. जो मतदान करने गए वह पीएम मोदी को हटाने या फिर मोदी को दुबारा पीएम बनाने के लिए गए. उम्मीदवार अगर लोगों को आकर्षित नहीं करता है तो सामान्यतः लोग उन्हें वोट करने के लिए नहीं निकलते हैं.
चुनाव आयोग करेगा समीक्षा
चुनाव आयोग के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संजय कुमार ने कहा कि आयोग की तरफ से कई प्रकार के मतदाता जागरूकता अभियान चलाए गए. कई तरह की कोशिश की गई. चुनाव आयोग ने मतदाता जागरूकता के लिए कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी. फिर भी मतदान का प्रतिशत कम रहा है.,आगे चलकर इसकी समीक्षा की जाएगी.