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लालू की राह पर तेजस्वी, बेरोजगारी के मुद्दे पर 'रैला' के माध्यम से फिर बढ़ाएंगे नीतीश कुमार की मुश्किलें! - unemployment rally

बिहार में लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) कई रैलियां कर चुके हैं. अब उन्हीं की राह पर उनके बेटे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) भी चल रहे हैं. वे अगले साल 'बेरोजगारी रैला' के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश (Nitish Kumar) को चुनौती पेश करने की कोशिश करेंगे. एनडीए के 19 लाख रोजगार के दावे का हिसाब मांगेंगे. पढ़ें खास रिपोर्ट...

लालू की राह पर तेजस्वी
लालू की राह पर तेजस्वी

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Published : Oct 28, 2021, 7:37 PM IST

पटना:बेरोजगारी (Unemployment) के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव(Tejashwi Yadav) लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को घेर रहे हैं. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में उन्होंने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था. इसके कारण आरजेडी (RJD) बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनी और वो महज कुछ सीटों के कारण मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए. ऐसे में तेजस्वी को लगता है कि युवाओं की आबादी और बढ़ती बेरोजगारी उन्हें सत्ता दिला सकती है. लिहाजा उन्होंने अगले साल 'बेरोजगारी रैला' करने का ऐलान कर दिया है.

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बेरोजगारी वास्तव में बिहार के लिए बड़ा मुद्दा है. इसका बड़ा कारण यह भी है कि बिहार में बड़ी संख्या में बेरोजगारी है. बड़ी आबादी युवा है और बेरोजगारी दर लगातार बिहार में डबल डिजिट में बना हुआ है. तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव के दौरान पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया था तो उसके जवाब में एनडीए ने भी 19 लाख रोजगार देने की बात कही थी. अब रैली के माध्यम से नीतीश सरकार पर 19 लाख रोजगार का हिसाब मांगेंगे और यह बताने की कोशिश करेंगे कि नरेंद्र मोदी ने भी 2014 में दो करोड़ रोजगार देने की बात कही थी, जो जुमला साबित हुआ और अब बिहार में भी 19 लाख रोजगार देने की बात जुमला साबित हो रही है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि तेजस्वी यादव युवाओं के साथ हैं और उनके लिए यह रैली होगी. पहले भी लालू प्रसाद यादव ने बड़ी रैलियां की हैं, जिसका रिकॉर्ड अब तक नहीं टूटा है.

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वहीं, जेडीयू प्रवक्ता निखिल मंडल का कहना है कि रैलियां तो पहले भी आरजेडी करती रही है, लेकिन उससे लोगों की परेशानियां ही बढ़ती है. इस बार रैली करेंगे तो जनता को तेजस्वी जरूर बताएं कि नौवीं पास आदमी कैसे इतनी संपत्ति इकट्ठा कर सकता है. अरविंद निषाद का भी कहना है कि पहले भी बेरोजगारी के मुद्दे पर जनता ने तेजस्वी को रिजेक्ट कर दिया है, क्योंकि नीतीश कुमार ने 15 साल में बड़े पैमाने पर रोजगार दिया है और अभी भी सीरीज में वैकेंसी निकाली गई है. सीएम के लिए यह बड़ी चुनौती नहीं है.

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हालांकि एएन सिन्हा शोध संस्थान के विशेषज्ञ डॉ. विद्यार्थी विकास का कहना है बिहार में बेरोजगारी बड़ी समस्या है. 13 से 15 फीसदी के करीब बेरोजगारी है और 50 लाख बेरोजगारों की संख्या है. इसमें ग्रेजुएट की आबादी भी बड़ी संख्या में है. महिलाओं में भी बेरोजगारी काफी अधिक है. ऐसे में बेरोजगारी बिहार सरकार के लिए चुनौती तो है.

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वहीं, केंद्रीय श्रम मंत्रालय के नेशनल करियर सर्विस पोर्टल की बात करें तो पिछले 1 महीने में 15 लाख से अधिक लोगों ने रोजगार के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. इसमें बिहार के भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हैं. एक करोड़ 10 लाख से अधिक लोग नौकरी तलाश रहे हैं. इसमें प्रमुख राज्यों ने इस प्रकार से नेशनल करियर सर्विस पोर्टल में रजिस्ट्रेशन कराया है.

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आपको याद दिलाएं कि आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने भी बिहार में एक के बाद एक कई बड़ी रैलियां की हैं, जिसकी पूरे देश में चर्चा भी हुई. गरीब रैला का तो अब तक रिकॉर्ड नहीं टूट पाया है. इसके अलावे उनकी ओर से लाठी में तेल पिलावन रैली, पोल खोल रैली, परिवर्तन रैली और चेतावनी रैली जैसी अनेक रैलियों के जरिए लोगों से सीधा संवाद करते रहे हैं और इसी बहाने अपनी सियासी ताकत भी दिखाते रहे हैं.

वहीं अब तेजस्वी भी पिता लालू की राह पर दिख रहे हैं और बिहार के बेरोजगार और युवा के साथ संवाद करने की कोशिश में हैं. हालांकि तेजस्वी लालू की राह पर जरूर हैं, लेकिन बेरोजगारी जैसे बड़े मुद्दे उठाकर अपना अलग रास्ता बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं. जाहिर है अगर युवाओं का साथ मिलता है तो यह नीतीश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.

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