पटना:बेरोजगारी (Unemployment) के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव(Tejashwi Yadav) लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को घेर रहे हैं. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में उन्होंने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था. इसके कारण आरजेडी (RJD) बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनी और वो महज कुछ सीटों के कारण मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए. ऐसे में तेजस्वी को लगता है कि युवाओं की आबादी और बढ़ती बेरोजगारी उन्हें सत्ता दिला सकती है. लिहाजा उन्होंने अगले साल 'बेरोजगारी रैला' करने का ऐलान कर दिया है.
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बेरोजगारी वास्तव में बिहार के लिए बड़ा मुद्दा है. इसका बड़ा कारण यह भी है कि बिहार में बड़ी संख्या में बेरोजगारी है. बड़ी आबादी युवा है और बेरोजगारी दर लगातार बिहार में डबल डिजिट में बना हुआ है. तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव के दौरान पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया था तो उसके जवाब में एनडीए ने भी 19 लाख रोजगार देने की बात कही थी. अब रैली के माध्यम से नीतीश सरकार पर 19 लाख रोजगार का हिसाब मांगेंगे और यह बताने की कोशिश करेंगे कि नरेंद्र मोदी ने भी 2014 में दो करोड़ रोजगार देने की बात कही थी, जो जुमला साबित हुआ और अब बिहार में भी 19 लाख रोजगार देने की बात जुमला साबित हो रही है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि तेजस्वी यादव युवाओं के साथ हैं और उनके लिए यह रैली होगी. पहले भी लालू प्रसाद यादव ने बड़ी रैलियां की हैं, जिसका रिकॉर्ड अब तक नहीं टूटा है.
वहीं, जेडीयू प्रवक्ता निखिल मंडल का कहना है कि रैलियां तो पहले भी आरजेडी करती रही है, लेकिन उससे लोगों की परेशानियां ही बढ़ती है. इस बार रैली करेंगे तो जनता को तेजस्वी जरूर बताएं कि नौवीं पास आदमी कैसे इतनी संपत्ति इकट्ठा कर सकता है. अरविंद निषाद का भी कहना है कि पहले भी बेरोजगारी के मुद्दे पर जनता ने तेजस्वी को रिजेक्ट कर दिया है, क्योंकि नीतीश कुमार ने 15 साल में बड़े पैमाने पर रोजगार दिया है और अभी भी सीरीज में वैकेंसी निकाली गई है. सीएम के लिए यह बड़ी चुनौती नहीं है.
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