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रीतलाल ने जेल से जीता MLC चुनाव, अब हैं RJD उम्मीदवार

बिहार की राजनीति पर हमेशा धनबल, बाहुबल और अपराधियों का साया रहा है. कई इलाके में ये उम्मीदवार की जीत और हार तक कर सकते हैं. यही नहीं इस बार कई अपराधी सीधे चुनावी मैदान में हैं. इन्हीं में से एक हैं रीतलाल यादव जिनपर हत्या और फिरौती जैसे बेहद संगीन आरोप हैं.

RJD candidate Ritlal Yadav from Danapur
रीतलाल यादव

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Published : Oct 13, 2020, 9:41 PM IST

Updated : Oct 14, 2020, 1:03 PM IST

पटना: बिहार चुनाव 2020 में कई ऐसे चेहरे हैं जिनका अपराध की दुनिया से सीधा वास्ता है. इनमें से कई लोग तो ऐसे हैं जिनका नाम सुनते ही लोग थर-थर कांपने लगते हैं. इन्हीं में से एक हैं रीतलाल यादव जिन्हें आरजेडी ने दानापुर से अपना उम्मीदवार चुना है. रीतलाल पर बीजेपी नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या का संगीन आरोप है. यही नहीं इनकी अपराधों की फेहरिस्त काफी लंबी है. बावजूद इसके इस बार आरजेडी ने इन्हें उम्मीदवार बनाया है.

दानापुर में रीतलाल यादव का नाम काफी समय से सुर्खियों में रहा है. कई सालों से जेल में रहने बाद भी इलाके में इसका खौफ कम नहीं है. एक तरफ जहां इनपर जेल रहते हुए लाखों-करोड़ों की हफ्ता वसूली, अवैध जमीन कब्‍जा और रंगदारी का आरोप लगा. वहीं, दूसरी तरफ कहा जाता है कि दानापुर और उसके आसपास की राजनीति रीतलाल के बीना संभव नहीं है.

शिक्षण संस्थान के संचालक से 1 करोड़ मांगने का आरोप

रीतलाल यादव पर 2019 में आरोप लगा कि उनके गुर्गो ने एक शिक्षण संस्थान के मालिक से 1 करोड़ रुपए रंगदारी की मांग की गई है. यही नहीं जब गुर्गों को पैसे देने से इनकार किया गया तो कथित तौर पर जेल से ही रीतलाल यादव ने संस्थान मालिक को पैसे नहीं देने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी थी. यही नहीं इनपर ये भी आरोप है कि इन्होंने एक डॉक्टर को रजिस्टर्ड डाक से जिंदा कारतूस भेजकर 50 लाख रुपए की रंगदारी मांगी.

जेल से रंगदारी मांगने का आरोप

अप्रैल 2017 में उस समय हंगामा मच गया जब ये कहा जाने लगा कि रीतलाल यादव पटना के बेऊर जेल से ही रंगदारी का धंधा चला रहे हैं. तब उन्हें वहां से हटाकर भागलपुर के केंद्रीय कारागार में ट्रांसफर कर दिया गया, जहां उन्हें उच्च श्रेणी की जेल में रख गया था. वहां भी जेल प्रशासन पर इन्हें कई तरह की सुविधाएं देने का आरोप लगा.

2010 में हुए थे गिरफ्तार

हत्या, हत्या की धमकी, डकैती, और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आपराधिक कृत्यों में नाम आने के बाद चार सितंबर 2010 से ही रीतलाल यादव ज्यादातर समय जेल में बंद हैं. बीच में उन्हें 25 जनवरी को बेटी की शादी के लिए 15 दिनों का परोल दिया गया था, लेकिन फिर उसके बाद उन्हें जेल लौटना पड़ा.

2014 में मीसा भारती ने मांगी थी मदद

रीतलाल 2010 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ा था और बीजेपी उम्मीदवार से हारकर दूसरे पायदान पर रहे थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी को रीतलाल की शरण में जाना पड़ा. दरअसल. इस चुनाव में लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती को बीजेपी उम्मीदवार रामकृपाल यादव कड़ी टक्कर दे रहे थे. रामकृपाल लालू के करीबी रह चुके थे लेकिन टिकट ना मिलने से नाराज उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था. तब लालू प्रसाद ने पटना की बेऊर जेल में बंद रीतलाल यादव से मदद मांगी. बदले में रीतलाल को आरजेडी का महासचिव घोषित किया गया. जिसके बाद रीतलाल मीसा भारती को समर्थन देने पर राजी हो गए, हालांकि इसके बावजूद मीसा हार गईं. एक साल बाद लालू रीतलाल को विधान परिषद चुनाव में उम्मीदवार बनाने में नाकाम रहें क्योंकि पटना सीट उन्हें गठबंधन सहयोगी जनता जदयू के लिए छोड़नी पड़ी. हालांकि इसके बाद रीतलाल निर्दलीय लड़ते हुए जीत दर्ज की

कोरोना काल में दर्ज हुई एफआईआर

2020 में लॉकडाउन के दौरान ही पटना हाई कोर्ट ने उन्हें तय सजा से ज्यादा समय तक ट्रायल के दौरान ही सजा काटने लेने की वजह से जमानत पर रिहा कर दिया. जेल से बाहर आते ही रीतलाल यादव ने शक्ति प्रदर्शन किया और लॉकडाउन के दौरान ही 30-40 गाड़ियों का काफिला लेकर अपने समर्थकों के साथ अपने क्षेत्र हाथीखाना मोड़ के पास जुट गए. जिसके बाद उनके साथ-साथ करीब 100 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.

Last Updated : Oct 14, 2020, 1:03 PM IST

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