पटनाः बिहार में भवन निर्माण विभाग कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है. पहले भी बड़े प्रोडक्ट के लिए हजारों करोड़ का भवन बनकर तैयार हो चुका है. बिहार में सरकारी भवनों का रखरखाव एक बड़ी चुनौती (Maintenance Policy of Government Buildings in Bihar) रही है. मुख्यमंत्री ने भवन निर्माण विभाग को सरकारी भवनों के रखरखाव के लिए नीति लाने को कहा था. लेकिन अभी तक मेंटेनेंस पॉलिसी बनकर तैयार नहीं हुई है. मेंटेनेंस पॉलिसी नहीं बनने से सरकारी भवनों का एजेंसियों के माध्यम से रखरखाव किया जा रहा है, जिससे बड़ी राशि खर्च हो रही है.
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अशोक सम्राट कन्वेंशन सेंटर से लेकर बिहार म्यूजियम तक में बड़ी राशि खर्च हो रही है. कई जगहों पर कन्वेंशन सेंटर भी बन रहा है. साथ ही बापू टावर का भी निर्माण हो रहा है. सीएम नीतीश कुमार के पिछले 15-16 साल के शासन में भवन निर्माण विभाग ने कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम किया है. जिस पर हजारों करोड़ की राशि खर्च हुई है. कई प्रोजेक्ट्स पर काम चल भी रहा है.
जानकारी दें कि बिहार म्यूजिम को बनाने में 700 करोड़ की लागत आयी. सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर के लिए 500 करोड़, विधानसभा का विस्तारित भवन 500 करोड़, बापू टावर 100 करोड़, बोधगया कन्वेंशन सेंटर के लिए 150 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. यह कुछ चुनिंदा सरकारी भवन हैं. इसी तरह के कई भवनों का निर्माण भवन निर्माण विभाग की तरफ से किया जा रहा है.
इसके साथ ही मुख्य सचिवालय सहित विकास भवन, विश्वेश्वरैया भवन, मंत्रियों के आवास, विधायक फ्लैट सहित कई ऐसे भवन हैं, जिसका रखरखाव भी करना है. पटना से बाहर सभी जिलों में सरकारी गेस्ट हाउस और जितने भी सरकारी कार्यालय हैं, उनका रखरखाव भी एक बड़ी चुनौती है. इसीलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भवन निर्माण विभाग को मेंटेनेंस पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया था, लेकिन विभागीय मंत्री अशोक चौधरी के अनुसार, 'अभी मेंटेनेंस पॉलिसी को लेकर कुछ भी तय नहीं हुआ है.'