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बिहार में CM के आदेश के बावजूद नहीं बनी मेंटेनेंस पॉलिसी, सरकारी भवनों के रखरखाव में हो रहे करोड़ों खर्च

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की सड़कों के रखरखाव नीति की तर्ज पर भवन निर्माण विभाग को सरकारी भवनों के रखरखाव के लिए नीति बनाने को कहा था. मेटेनेंस पॉलिसी के अभाव में कई सरकारी भवनों के रख-रखाव पर जनता का भारी धन बर्बाद हो रहा है. पढ़ें रिपोर्ट...

बिहार में भवन निर्माण विभाग द्वारा अब तक नहीं बनाई गई है मेंटेनेंस पॉलिसी
बिहार में भवन निर्माण विभाग द्वारा अब तक नहीं बनाई गई है मेंटेनेंस पॉलिसी

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Published : Dec 28, 2021, 8:23 PM IST

पटनाः बिहार में भवन निर्माण विभाग कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है. पहले भी बड़े प्रोडक्ट के लिए हजारों करोड़ का भवन बनकर तैयार हो चुका है. बिहार में सरकारी भवनों का रखरखाव एक बड़ी चुनौती (Maintenance Policy of Government Buildings in Bihar) रही है. मुख्यमंत्री ने भवन निर्माण विभाग को सरकारी भवनों के रखरखाव के लिए नीति लाने को कहा था. लेकिन अभी तक मेंटेनेंस पॉलिसी बनकर तैयार नहीं हुई है. मेंटेनेंस पॉलिसी नहीं बनने से सरकारी भवनों का एजेंसियों के माध्यम से रखरखाव किया जा रहा है, जिससे बड़ी राशि खर्च हो रही है.

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अशोक सम्राट कन्वेंशन सेंटर से लेकर बिहार म्यूजियम तक में बड़ी राशि खर्च हो रही है. कई जगहों पर कन्वेंशन सेंटर भी बन रहा है. साथ ही बापू टावर का भी निर्माण हो रहा है. सीएम नीतीश कुमार के पिछले 15-16 साल के शासन में भवन निर्माण विभाग ने कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम किया है. जिस पर हजारों करोड़ की राशि खर्च हुई है. कई प्रोजेक्ट्स पर काम चल भी रहा है.

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जानकारी दें कि बिहार म्यूजिम को बनाने में 700 करोड़ की लागत आयी. सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर के लिए 500 करोड़, विधानसभा का विस्तारित भवन 500 करोड़, बापू टावर 100 करोड़, बोधगया कन्वेंशन सेंटर के लिए 150 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. यह कुछ चुनिंदा सरकारी भवन हैं. इसी तरह के कई भवनों का निर्माण भवन निर्माण विभाग की तरफ से किया जा रहा है.

इसके साथ ही मुख्य सचिवालय सहित विकास भवन, विश्वेश्वरैया भवन, मंत्रियों के आवास, विधायक फ्लैट सहित कई ऐसे भवन हैं, जिसका रखरखाव भी करना है. पटना से बाहर सभी जिलों में सरकारी गेस्ट हाउस और जितने भी सरकारी कार्यालय हैं, उनका रखरखाव भी एक बड़ी चुनौती है. इसीलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भवन निर्माण विभाग को मेंटेनेंस पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया था, लेकिन विभागीय मंत्री अशोक चौधरी के अनुसार, 'अभी मेंटेनेंस पॉलिसी को लेकर कुछ भी तय नहीं हुआ है.'

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मेंटेनेंस पॉलिसी नहीं होने के कारण भवनों के रखरखाव पर मनमाने ढंग से खर्च हो रहा है. बाहर की एजेंसियों को रखरखाव पर बड़ी राशि खर्च के नाम पर दी जा रही है. सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर का रखरखाव खर्च आमदनी से अधिक है. पिछले 4 साल में इसकी कमाई केवल 16 करोड़ रुपए हुई है, लेकिन खर्च 47.50 करोड़ हुआ है. आरटीआई एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय के अनुसार, 'हर दिन मेंटेनेंस के नाम पर 3,50,000 रुपए बाहरी एजेंसी दिये जा रहे हैं. इसी तरह राजगीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर पर भी बड़ी राशि रखरखाव के नाम पर खर्च हो रही है. बिहार म्यूजियम और अन्य सरकारी भवनों का भी यही हाल है.'

बिहार में भवन निर्माण विभाग द्वारा अब तक नहीं बनाई गई है मेंटेनेंस पॉलिसी

जानकारी दें कि 2018-19 में 13 करोड़ 36 लाख 98 हजार रुपए भवनों के रखरखाव में खर्च किए गए. वहीं 2019-20 में 14 करोड़ 32 लाख 31 हजार, 2020-21 में 13 करोड़ 70 लाख 81 हजार रुपए खर्च हुए. इसी तरह राजगीर कन्वेंशन सेंटर पर वित्तीय वर्ष 2019-20 में दो करोड़ की राशि कलसी बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी को दी गई.

अभी भी सरकारी भवनों के मेंटेनेंस भवन निर्माण विभाग के माध्यम से ही कराए जाते हैं. लेकिन मेंटेनेंस पॉलिसी नहीं होने के कारण सब कुछ मनमाने तरीके से हो रहा है. जितनी बड़ी राशि खर्च हो रही है, वह भी सवालों के घेरे में है. वहीं बड़ी संख्या में भवनों का सही ढंग से रखरखाव भी मेंटेनेंस पॉलिसी नहीं होने के कारण नहीं हो रहा है. यह भी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है.

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