पटना: बिहार में शिक्षा विभाग ( Bihar Education Department ) और विश्वविद्यालयों का अजब खेल है. बक्सर में शिव प्रसाद संस्कृत डिग्री महाविद्यालय में प्रोफेसर रहे रविंद्रनाथ झा शिक्षक और कर्मचारियों को वेतन देते थे, लेकिन अपना वेतन साढ़े 3 साल तक नहीं ले पाए और मौत के बाद उनके परिवार को अब पेंशन भी नहीं मिल रहा है.
जनता दरबार ( CM Janta Darbar ) के बाहर पहुंचे उनके बेटे रजनीश का कहना है कि 2017 में मेरे पिता का मामला सामने आया कि उन्हें स्थाई नहीं किया गया है. और उसके बाद ही दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय ( Kameshwar Singh Darbhanga Sanskrit University ) ने वेतन रोक दिया अधिकारियों का चक्कर लगाने के बाद भी कोई फैसला नहीं आया. मामला कोर्ट में भी गया लेकिन कोर्ट के आदेश का भी शिक्षा विभाग पालन नहीं कर रहा है. सेवाकाल में ही मेरे पिता की डेथ हो गई और उसके बाद उन्हें कोई भी लाभ नहीं मिला.
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रजनीश का कहना है कि मेरे पिता बक्सर स्थित संस्कृत महाविद्यालय में प्रभारी प्रिंसिपल थे और लंबे समय तक सेवा देने के बाद 2017 में अचानक सैलरी बंद कर दिया गया. उन्होंने उस समय काफी भागदौड़ की विश्वविद्यालय का भी चक्कर लगाया शिक्षा विभाग का भी चक्कर लगाया तो पता चला कि उनकी नियुक्ति अस्थाई हुई थी और उसे विभाग ने स्थाई नहीं किया. इसमें मेरे पिता की कोई गलती नहीं थी यह तो विभाग का काम था.