पटना:बिहार के बेगूसराय में बाइक पर बैठकर एनएच पर तीस किलोमीटर तक डेढ़ घंटे घूम-घूमकर गोलियों की बरसात करने की दुस्साहसी घटना(Begusarai firing case ) ने राजनीतिक दलों को एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का मौका दे दिया है. बिहार के राजनीतिक दल आमने-सामने हैं और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. वोट बैंक की राजनीति साधने के लिए मर्यादा की सीमा भी नेताओं ने लांघ दी है.
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नहीं थम रही सियासी बयानबाजीः बेगूसराय गोलीबारी की घटना एक राजनीतिक मुद्दा बन गई है. इस मामले में गिरफ्तार किए गए चार अपराधियों में दो हिस्ट्रीशीटर बताए जा रहे हैं. पुलिस अपराधियों के राजनीतिक रिश्ते को खंगाल रही है. अपराधियों की सीडीआर निकाले जा रहे हैं. बेगूसराय गोलीबारी कांड ने बिहार के सियासत में बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है. धर्म और जातिवाद के नाम पर राजनीति करने में नेता जुट गए हैं. पक्ष और विपक्ष आमने सामने है.
बीजेपी और जेडीयू आमने सामनेःबेगूसराय घटना के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि यह आतंकी घटना है और घटना से साजिश की बू आ रही है. ठीक दूसरे दिन सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को टारगेट कर हमला किया गया था. बात यहीं नहीं रुकी और गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार पर ही गोली चलाने का आरोप लगा दिया. मैदान-ए-जंग में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी भी कूद गए.
जांच एजेंसियों पर भी उठा रहे अंगुलीः सुशील मोदी ने कहा कि पूरे मामले की जांच सीबीआई या फिर एनआईए से कराई जानी चाहिए. बिहार सरकार की एजेंसियों पर उन्हें भरोसा नहीं है. वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि सुशील जी आप अपराधियों के पकड़े जाने से असहज हैं और अपराधियों के पकड़े जाने से आप लोगों को डर सता रहा है कि कहीं पूरी साजिश बेनकाब ना हो जाए. इसलिए अपने तोता सीबीआई से जांच की मांग कर रहे हैं. चिंता मत कीजिए पुलिस प्रशासन पूरी निष्पक्षता के साथ जांच कर रही है.