पटना: 8 अगस्त के दिन भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई. अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति ने प्रस्ताव पारित किया था जिसे भारत छोड़ो प्रस्ताव कहा गया. इस आंदोलन ने आजादी की लड़ाई को उस मुकाम तक पहुंचाया जिसके कारण 1947 में देश आजाद हुआ. इस लड़ाई में बिहार के वीर सपूतों का भी अहम योगदान रहा. सचिवालय पर तिरंगा फहराने के लिए बिहार के सात युवा छात्र शहीद हो गए थे. अगस्त क्रांति के दिन बिहार अपने अमर सपूतों को फिर याद कर रहा है.
आजादी की कहानी में बिहार का अहम योगदान
देश की आजादी की कहानी में बिहार के वीर सपूतों का नाम भी प्रमुखता से लिया जाएगा. बिहार विधानमंडल के सामने शहीदों का स्मारक आजादी की लड़ाई में बिहार के योगदान का जीता जागता सबूत है. 1942 में 8 अगस्त के दिन ही अगस्त क्रांति की शुरुआत हुई थी. 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नारा महात्मा गांधी ने बुलंद किया था.
शीश झुकाते हैं लोग
बिहार के ये 7 नवयुवक भी उससे प्रभवित हुए. इन युवकों में सारन के उमाकांत प्रसाद सिंह, पटना के रामानंद सिंह, भागलपुर के सतीश प्रसाद झा, गया के जगपति कुमार, सिलहट के देवी प्रसाद चौधरी, सारण के राजेंद्र सिंह और पटना के राम गोविंद सिंह शामिल थे. पटना स्थित बिहार सचिवालय पर तिरंगा लहराने जा रहे इन वीर सपूतों को अंग्रेजों ने गोली मार दी. एक के बाद एक इन सातों सपूतों ने दम तोड़ दिया. इन 7 सपूतों की वीर गाथा कहती इनकी प्रतिमाएं आज भी बिहार के लोगों को शहीद स्मारक पर शीश झुकाने को मजबूर कर देती हैं.