पटना:बिहार में नई शिक्षा नीति (New Education Policy in Bihar) के तहत प्राथमिक विद्यालयों में कई नई चीजें शुरू होनी हैं. अब आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए प्राथमिक स्कूलों में नर्सरी की पढ़ाई भी शुरू होने वाली है, लेकिन हर साल करोड़ों के बजट वाले बिहार के हजारों प्राथमिक स्कूलों में पेयजल, शौचालय और बिजली की व्यवस्था भी नहीं है. यह आंकड़ा सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है.
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सरकार के यू डायस में वर्ष 2018-19, वर्ष 2019-20 और वर्ष 2020-21 के आंकड़ों के मुताबिक राज्य के 2014 स्कूलों में छात्रों के लिए टॉयलेट उपलब्ध नहीं है. वहीं 1383 स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय उपलब्ध नहीं है. यू डाइस के आंकड़े अत्यंत चौंकाने वाले हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक हर घर बिजली पहुंचाने का दावा करने वाले राज्य के 11640 प्राथमिक स्कूलों में बिजली नहीं है. 14185 स्कूलों में रैंप नहीं हैं. 33601 स्कूलों में बाउंड्री नहीं है. जबकि 45000 से ज्यादा स्कूलों में खेल के मैदान नहीं हैं. वहीं 50,000 से ज्यादा स्कूलों में पुस्तकालय की सुविधा उपलब्ध नहीं है.
यह हाल तब है, जब नई शिक्षा नीति के तहत तमाम प्रारंभिक स्कूलों में नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्रों को टैग किया गया है. आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए अब नर्सरी के बच्चों को प्ले स्कूल की सुविधा उपलब्ध कराई जानी है. यह सुविधा प्राथमिक स्कूलों के जरिए ही उन्हें उपलब्ध कराई जाएगी. ऐसे में यह जरूरी है कि प्रारंभिक स्कूलों में तमाम मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों. यही वजह है कि राइट टू एजुकेशन के तहत शिक्षा विभाग तमाम सुविधाओं को दुरुस्त कर लेना चाहता है, ताकि आंगनबाड़ी केंद्रों को टैग करने के बाद नई परेशानी खड़ी ना हो.
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आपको बता दें कि बिहार में करीब 72000 सरकारी प्राथमिक विद्यालय हैं. इनमें से ज्यादातर स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं अत्यंत खस्ताहाल है. यू डायस के आंकड़ों के मुताबिक पटना के 58, भोजपुर के 646, मुजफ्फरपुर के 957, नालंदा के 285, गया के 381 और पूर्णिया के 203 प्रारंभिक स्कूलों में बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इस बारे में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बताया कि सभी सरकारी प्राथमिक स्कूलों में राइट टू एजुकेशन (Right to Education) के प्रावधान के तहत आधारभूत संरचनाएं उपलब्ध होना जरूरी है. स्कूल प्रशासन को यह तय करना होगा कि स्कूल में संसाधन उपलब्ध है और उनका रखरखाव सही तरीके से हो रहा है.