पटना:प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अब डॉक्टर ब्रांडेड दवाईयां नहीं लिख पाएंगे. सरकार जेनेरिक दवाओं को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है. अमृत योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में 357 जेनेरिक दवाएं मुहैया कराई जाएगी. सरकार ब्रांडेड दवाई लिखने वाले डॉक्टरों पर भी लगाम लगाने की तैयारी कर रही है.
संजय कुमार, प्रधान सचिव, स्वास्थ विभाग जेनेरिक दवाओं के प्रचलन की तैयारी
प्रदेश में आम लोगों को अब सरकारी अस्पतालों में इलाज के दौरान महंगी दवाईयां नहीं खरीदनी पड़ेगी. आम लोगों की सहूलियत के लिए सरकार जेनेरिक दवाईयों को प्रचलन में लाने की तैयारी कर चुकी है. अस्पतालों में जेनेरिक दवाई मुहैया कराई जा रही है. साथ ही एचएलएल के माध्यम से पूरे बिहार में दुकानें भी खोली जा रही है.
गुड्डू बाबा, स्वास्थ समाजसेवी 'जेनेरिक दवाईयां उपलब्ध कराने में सरकार असक्षम'
सरकार की इस योजना को स्वास्थ्य जगत के समाजसेवी गुड्डू बाबा लोगों के लिए परेशानी मानते हैं. उनका कहना है कि जेनेरिक दवाओं को लेकर सरकार के सारे दावे झूठे हैं. सरकार जेनेरिक दवाईयों की रेंज उपलब्ध नहीं करा पाएगी. उन्होंने बताया कि बीएमएसआईसीएल की ओर से 234 दवाईयां दी जानी थी, लेकिन सिर्फ 77 दवाईयां ही उपलब्ध थी.
'जेनेरिक दवाईयों के लिए सरकार प्रतिबद्ध'
वहीं, स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि सरकार जेनेरिक दवाईयों के प्रचलन के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने 357 दवाईयों की सूची बनाई है, जो सरकारी अस्पताल में उपलब्ध कराई जाएगी. साथ ही जेनेरिक दवाईयां नहीं लिखने वाले डॉक्टरों पर कार्रवाई की जाएगी. सरकार समय-समय पर इसका ऑडिट भी कराएगी.