पटना:बिहार मेंकोरोना का संकट (Corona in Bihar) टल चुका है और एक बार फिर बिहार में राजनीतिक गतिविधियां परवान चढ़ने लगी है. दावते इफ्तार ने बिहार का सियासी पारा एक बार फिर चढ़ा दिया है. 5 साल बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) राबड़ी देवी आवास यानी 10 सर्कुलर रोड पैदल चलकर पहुंचे. जिससे बिहार में सियासत नई अंगड़ाई लेने लगी है. इफ्तार के बहाने बिहार की सियासत में नया कुछ देखने को मिलेगा, इसके संकेत मिलने लगे हैं.
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RJD से नजदीकी, BJP से दूरी!: पिछली बार 2017 में जब नीतीश कुमार इफ्तार में शामिल हुए थे, तब बिहार में सरकार बदल गई थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राजनीतिक दांव के लिए जाने जाते हैं. राजनीतिक अस्थिरता के दौर में जिस गर्मजोशी से नीतीश कुमार लालू परिवार से मिले उससे कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. जगदीशपुर में आयोजित विजयोत्सव कार्यक्रम से नीतीश कुमार की दूरी देखने को मिली, लेकिन एयरपोर्ट पर गृह मंत्री अमित शाह से जरूर मिले.
विजयोत्सव के बाद नित्यानंद का बढ़ा कद: नित्यानंद राय को बीजेपी की तरफ से बतौर मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया जा रहा है. विजयोत्सव कार्यक्रम की सफलता के बाद नित्यानंद राय बिहार की सियासत में ड्राइविंग सीट पर (Nityananda stature increased after Vijayotsav) आ गए हैं. भूपेंद्र यादव की टीम जहां नित्यानंद राय को सीएम प्रोजेक्ट करना चाहती है.
वहीं नीतीश कुमार बीजेपी के किसी सीनियर लीडर को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. अगर मुख्यमंत्री का पद छोड़ नीतीश कुमार केंद्र की राजनीति में जाते हैं तो वैसी स्थिति में नीतीश कुमार की पहली पसंद सुशील मोदी (Nitish Kumar first choice Sushil Modi) होंगे. सुशील मोदी ने भी विजयोत्सव कार्यक्रम से पहले उपचुनाव के नतीजों को लेकर भूपेंद्र यादव की टीम पर हमला बोला था और हार को लेकर एनडीए में समीक्षा की बात कही थी.