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चुनावी साल में माननीयों की बढ़ी चिंता, कोरोना के कारण MLA फंड में 50 लाख की कटौती से विकास कार्य पर पड़ेगा असर!

बिहार विधानसभा में कुल 243 सदस्य हैं जबकि विधान परिषद में सदस्यों की संख्या 75 है. बदली परिस्थितियों में विधायक अब मुख्यमंत्री क्षेत्रीय विकास योजना के तहत ढाई करोड़ के अंदर ही अनुशंसा कर पाएंगे. एमएलए फंड में कमी की वजह से बिहार विधानसभा के सदस्य 25 सौ योजनाओं की अनुशंसा नहीं कर पाएंगे. साथ ही विधान परिषद सदस्य भी लगभग साढ़े सात सौ योजनाओं की अनुशंसा नहीं कर पाएंगे.

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Published : Jun 22, 2020, 9:25 PM IST

पटना: बिहार के लिए यह चुनावी साल है. अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव होना है. जनप्रतिनिधियों के सामने समय पर विकास योजनाओं को पूरा करने की चुनौती थी, लेकिन कोरोना वायरस ने विकास योजनाओं पर भी असर डाला है. फंड में कटौती से एमपी और एमएलए पहले की तरह विकास योजनाओं की अनुशंसा नहीं कर पाएंगे.

सचिवालय

चुनावी साल में विकास योजनाओं पर लग सकता है ग्रहण
अक्टूबर-नवंबर महीने में बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं. कोरोना वायरस के खतरे ने नेताओं की चिंता बढ़ा दी है. विधायक विशेष तौर पर विकास योजनाओं को लेकर चिंतित हैं. हर साल विधायक 3 करोड़ राशि की योजनाओं की अनुशंसा कर सकते थे, लेकिन इस बार 50 लाख रूपये कोरोना फंड में डाले जा चुके हैं. नतीजतन विधायक अब सिर्फ ढाई करोड़ के राशि की अनुशंसा कर पाएंगे.

ढाई करोड़ के अंदर ही योजनाओं की अनुशंसा
बिहार विधानसभा के कुल 243 सदस्य हैं और विधान परिषद के 75 सदस्य. बदली परिस्थितियों में विधायक अब मुख्यमंत्री क्षेत्रीय विकास योजना के तहत ढाई करोड़ के अंदर ही अनुशंसा कर पाएंगे. एमएलए फंड में कमी की वजह से बिहार विधानसभा के सदस्य 25 सौ योजनाओं की अनुशंसा नहीं कर पाएंगे. साथ ही विधान परिषद सदस्य भी लगभग साढ़े सात सौ योजनाओं की अनुशंसा नहीं कर पाएंगे.

सांसद भी दो साल तक नहीं कर पाएंगे योजनाओं की अनुशंसा
सांसद निधि में हर सांसद को दो किश्त में विकास के लिए 5 करोड़ निर्गत किए जाते रहे हैं. लेकिन कोरोना काल में 2 साल के लिए सांसद निधि को फ्रीज कर दिया गया है. ऐसे में सांसद भी दो साल तक योजनाओं की अनुशंसा नहीं कर पाएंगे.

भाई विरेंद्र, आरजेडी विधायक

बिहार में विधायकों की चिंता
एमएलए फंड और विकास योजनाओं को लेकर बिहार में विधायकों को चिंता है. कोरोना फंड में 50 लाख दिए जाने के बाद विधायक खुश तो हैं, लेकिन विकास योजनाओं को लेकर उनकी चिंता भी जायज है. विपक्ष का आरोप है कि योजनाओं की अनुशंसा करने के बाद भी 6 महीने से 1 साल का वक्त काम शुरू होने में लग जाता है.

'विपक्षी विधायकों के साथ भेदभाव'
आरजेडी विधायक और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता भाई विरेंद्र ने कहा कि विपक्षी विधायकों के साथ भेदभाव किया जाता है. तमाम इंजीनियर और अधिकारियों को कोरोना वायरस से संबंधित ड्यूटी में लगा दिया गया है. ऐसे में तमाम विकास योजनाएं अधूरी रह जाएंगी.

कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह

अधिकारियों के रवैये पर सवाल
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि विधायक अब ढाई करोड़ के अंदर ही योजनाओं की अनुशंसा कर पाएंगे. लेकिन अधिकारियों के रवैये की वजह से योजनाएं समय पर पूरी नहीं हो पाती हैं.

बीजेपी विधायक ने जताई खुशी
बीजेपी विधायक मिथिलेश तिवारी ने एमएलए फंड में कटौती पर खुशी जाहिर की है. विधायक ने कहा है कि पूरा देश कोरोना से लड़ रहा है. इसमें अगर हम विधायक सहयोग कर रहे हैं तो मेरे लिए यह गौरव की बात है.

मिथिलेश तिवारी, बीजेपी विधायक

2 साल तक सांसद निधि पर रोक
वहीं सरकार में शामिल योजना एवं विकास मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा है कि विधायक अब तीन करोड़ के बजाय ढाई करोड़ की राशि के अंदर योजनाओं की अनुशंसा कर पाएंगे. जहां तक सांसद निधि का सवाल है तो 2 साल तक सांसद निधि पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है.

महेश्वर हजारी, योजना एवं विकास मंत्री

आरोपों पर मंत्री का जवाब
हालांकि समय पर योजनाएं पूरी नहीं होने के आरोपों पर मंत्री ने कहा कि भूमि अधिग्रहण की वजह से प्रक्रिया में थोड़ी देरी होती है, लेकिन तमाम योजनाओं को समय से पहले पूरा कर लिया जाएगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

विकास के कामों की गति पर संशय बरकार
जब प्रदेश मुसीबत के दौर से गुजर रहा है तो विधायक निधि से राशि का अंशदान कोरोना की लड़ाई में मददगार साबित हो रहा, लेकिन विधायकों की चिंता भी अपनी जगह जायज है, क्योंकि विकास कार्य भी बेहद जरूरी है. ऐसे में बदली परिस्थितियों के मद्देनजर चुनावी साल में विकास के काम होंगे या नहीं इसपर संशय बरकरार है.

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