पटना: बिहार के मिथिलांचल में मखाना की बहुत ज्यादा पैदावार होती है, किसान इस फसल को बहुत अच्छे तरीके से करते हैं. अब मखाना को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने वाली है और इसको लेकर बिहार सरकार ने जीआई टैग (GI tag for Makhana) के लिए पत्र भी लिखा है. लेकिन, इस पर भी बिहार में राजनीति शुरू हो गई है.
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कुछ दिन पहले ही विपक्ष के नेताओं ने आरोप लगाया था कि सरकार मखाना को 'बिहार मखाना' के नाम से जीआई टैगिंग करवा रही है. निश्चित तौर पर यह मिथिला में ज्यादा से ज्यादा उपजाया जाता है, इसलिए इसका जीआई टैगिंग मिथिला मखाना के नाम से होना चाहिए. इसको लेकर कृषि मंत्री ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.
''बिहार में कुछ लोग भी विचित्र तरह की राजनीति करते हैं. मखाना का जीआई टैगिंग मिथिला मखाना के नाम से ही होगा. इसको लेकर हमारे विभाग ने पत्र भी भारत सरकार को लिख दिया है. निश्चित तौर पर हम जानते हैं कि मखाना का सबसे ज्यादा उत्पादन मिथिला में ही होता है और वहीं के कृषक इसे उपजाते हैं. फिर दूसरे नाम से जीआई टैगिंग होने का कोई बात ही नहीं आता है. कुछ लोगों को कोई काम नहीं होता तो तरह-तरह के बयान देते रहते हैं, जो कि गलत है.''-अमरेन्द्र प्रताप सिंह, मंत्री, कृषि विभाग
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कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने साफ-साफ कहा कि हाल में मखाना को जीआई टैगिंग के लिए केंद्र से टीम आई थी और उन्होंने इसे बिहार मखाना कहकर चर्चा किया. निश्चित तौर पर इससे कुछ होने वाला नहीं है. हमने जो पत्र लिखा है, वह मिथिला मखाना के नाम से जीआई टैगिंग के लिए है. इस पर जो भी दल राजनीति कर रहे हैं वह गलत है.
उन्होंने कहा कि इसको लेकर हमने सदन में जवाब भी दिया था और जिन लोगों को जवाब दिया था, आज वह लोग भी इसको लेकर बयानबाजी कर रहे हैं जो कि गलत है. निश्चित तौर पर बहुत जल्द ही मखाना को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी और उसका नाम मिथिला मखाना ही होगा, इसमें कहीं कोई दो राय नहीं है.