पटना:फर्जी सर्टिफिकेट और पद का दुरुपयोग करने का आरोप झेल रहे एनसीबी अधिकारी समीर वानखेडे (NCB Officer Sameer Wankhede) पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम माझी (Jitan Ram Manjhi) ने भी हमला बोला है. उन्होंने ट्वीट कर पूछा है कि यदि समीर वानखेडे अपनी शादी के समय मुस्लिम थे तो अब दलित कैसे बन गए हैं? ऐसे ही लोग आरक्षण की डकैती कर रहे हैं.
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दरअसल, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने बुधवार को समीर वानखेड़े का निकाहनामा (Sameer Wankhede Nikah Nama) जारी किया है. जिसमें उन्होंने दावा किया है कि 7 दिसंबर 2006 को गुरुवार की रात 8 बजे लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स में समीर दाऊद वानखेड़े और शबाना कुरैशी का निकाह हुआ. मेहर की रकम 33000 हजार थी. गवाह नंबर 2 अजीज खान समीर वानखेड़े की बड़ी बहन यास्मीन दाऊद वानखेड़े के पति हैं.'
इसी को आधार बनाते हुए हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने भी निशाना साधते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'यदि समीर वानखेडे अपने शादी के समय मुस्लिम थे तो अब दलित कैसे बन गए? कहीं ये पंजाब के आरक्षित सीट फरीदकोट(SC) के कांग्रेस सांसद मो.सादिक अली टाईप फर्जी सर्टिफिकेट वाले दलित तो नहीं? ऐसे ही लोग आरक्षण की डकैती कर SC/ST/OBC वर्ग के लोगों का अधिकार छीन रहे हैं.'
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आपको याद दिलाएं कि मांझी ने पिछले दिनों भी समीर वानखेडे के फर्जी सर्टिफिकेट को लेकर ट्वीट किया था. तब उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'पांच दिन पहले मैंने कहा था कि SC/ST/OBC के फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर देश में आरक्षण की डकैती हो रही है. आज नवाब मलिक जी ने एनसीबी अधिकारी समीर वानखेडे का प्रमाण पत्र जारी कर बता दिया कि यूपीएससी में भी ये डकैती चल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से आग्रह है आप इस डकैती पर रोक लगवाएं.'
उस समय भी उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक के ट्वीट को आधार बनाकर ट्वीट किया था था. तब नवाब मलिक ने एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के कथित जन्म प्रमाण पत्र की कॉपी ट्वीट की थी. उस कॉपी के मुताबिक समीर के पिता का नाम दाऊद है और उनका धर्म मुस्लिम है. इसकी वजह से वानखेड़े के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी के रूप में चयन के बारे में एक और विवाद पैदा हो गया, क्योंकि उन्हें यूपीएससी में उनका चयन आरक्षण श्रेणी के तहत एक हिंदू के रूप में हुआ था.
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इससे पहले भी जीतनराम मांझी ने कहा था कि लोकसभा, विधानसभा, जिला परिषद, पंचायत समितियों एवं निकाय के अन्य चुनावों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर निर्वाचित सदस्यों की सदस्यता रद्द कराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक आयोग का गठन हो. उक्त आयोग की सिफारिश के आलोक में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर निर्वाचित हुए जनप्रतिनिधि पर मुकदमा दर्ज करते हुए उनकी सदस्यता रद्द की जाए.
मांझी ने नाम लेते हुए कहा था, 'पंजाब के फरीदकोट से कांग्रेस सांसद मोहम्मद सादिक, यूपी के आगरा से बीजेपी सांसद एसपी बघेल, महाराष्ट्र के अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा, पश्चिम बंगाल के आरामबाग सीट से टीएमसी सांसद आफरीन अली, महाराष्ट्र के सोलापुर से बीजेपी सांसद जय सिद्धेश्वर शिवाचार्य महास्वामी, यह लोग जहां से सांसद हैं, वह एससी लोकसभा सीट है. यह लोग फर्जी SC जाति प्रमाण पत्र बनवाकर सांसद बने हुए हैं.'