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CM नीतीश को मिला मांझी का साथ, कहा- हो पेगासस मामले की जांच - पेगासस मामले की जांच की मांग

पेगासस मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ( HAM ) का साथ मिला है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने ट्वीट कर पूरे मामले की जांच की मांग की है. पढ़ें पूरी खबर...

Jitan Ram Manjhi
Jitan Ram Manjhi

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Published : Aug 3, 2021, 1:34 PM IST

पटना:बिहार एनडीए ( Bihar NDA ) में पेगासस जासूसी मामले को लेकर एक बार फिर सियासी घमासान मचा हुआ है. पेगासस जासूसी मामले ( Pegasus Spy Case ) को लेकर निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे विपक्ष को एनडीए के सहयोगी जेडीयू ( JDU ) का साथ मिलने से एक नया विवाद शुरू हो गया है. हालांकि, सीएम नीतीश के बाद हम पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी ( Jitan Ram Manjhi ) ने भी जांच की मांग कर दी है.

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पूर्व मुख्यमंत्री और हम के प्रमुख जीतन राम मांझी ने सीएम नीतीश की सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि पेगासस जासूसी मामले की जांच होनी चाहिए. मांझी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा, "अगर विपक्ष किसी मामले की जांच की मांग कर लगातार संसद का काम प्रभावित कर रहा है तो यह गंभीर मामला है. मुझे लगता है वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर पेगासस जासूसी मामले की जांच करा लेनी चाहिए,जिससे देश को पता चल पाए कि कौन किन लोगों की जासूसी करा रहा है."

गौरतलब हैं कि, बीती दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि टेलिफोन टैपिंग की बात इतने दिनों से सामने आ रही है. लिहाजा इस पर बात जरूर होनी चाहिए और गंभीर चर्चा की जानी चाहिए.

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि मामले की वास्तव में जांच होनी चाहिए. हम इतने दिनों से टेलीफोन टैपिंग के बारे में सुन रहे हैं. इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए. लोग ( विपक्ष ) इतने दिनों से बातचीत के लिए दोहरा रहे हैं, यह किया जाना चाहिए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि आजकल तो फोन टैपिंग कई तरह से कोई भी कर लेता है. ऐसे में इन चीजों पर एक-एक बात को देखकर सरकार को उचित कदम उठाना चाहिए. संसद में इस पर क्या हुआ और क्या नहीं हुआ है, ये सब मैं समाचार पत्रों में पढ़कर ही जानता हूं. उन्होंने कहा कि जो कुछ भी है, उसकी जांच होनी चाहिए. आखिर कैसे किस तरह से फोन की टैपिंग हो रही है तो सच्चाई सामने आनी चाहिए.

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नीतीश के इस बयान से सियासी तूफान को रोकना बीजेपी के लिए मुश्किल हो सकता है क्योंकि अब उनके सहयोगी ही सवाल खड़े कर रहे हैं. दरअसल, पेगासस और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है. 19 जुलाई से मॉनसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है.

गौरतलब है कि 19 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र शुरु होने से ठीक एक दिन पहले इसका खुलासा हुआ था. तभी से पेगासस जासूसी का प्रकरण का मुद्दा सुर्खियों में है. संसद की कार्यवाही के पहले ही दिन सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं. लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.

क्या है पेगासस स्पाईवेयर?:पेगासस एक पावरफुल स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रिकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.

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