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'नीतीश कुमार BJP के साजिश को चक्र और तलवार से काट देंगे, PM मोदी के पास कोई विजन नहीं'

बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 (Bihar Municipal Election 2022) को लेकर बिहार में सियासत तेज हैं. इसको लेकर बीजेपी और जदयू आमने-सामने है. बीजेपी जहां सीएम नीतीश कुमार को अति पिछड़ा वर्ग का हितैषी नहीं होने का आरोप लगा रही है. वहीं, जदयू बीजेपी के खिलाफ पोल खोल अभियान शुरू की है. इसी कैंपेन के तहत जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह नें राजधानी पटना में बीजेपी और पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा. पढे़ं पूरी खबर...

JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह
JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह

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Published : Oct 13, 2022, 7:52 PM IST

पटना:जदयू की ओर से अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर पूरे बिहार में बीजेपी के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया गया. पटना में मुख्य कार्यक्रम हुआ. जिसमें गांधी मैदान में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (JDU National President Lalan Singh) और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा सहित पार्टी के बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए. ललन सिंह ने पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए बीजेपी पर जमकर निशाना साधा और पोल खोल कार्यक्रम का मकसद बताया. उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने अति पिछड़ा वर्ग के लिए हमेशा सोचा है. इसलिए अति पिछड़ा वर्ग हमेशा नीतीश कुमार की ओर देखता है, बीजेपी को चिंता करने की जरूरत नहीं है.

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'नीतीश कुमार बीजेपी के हर खडयंत्र का तलवार और अपने चक्र से छेद कर देंगे. 1978 से आरक्षण को लेकर बीजेपी का रवैया सबके सामने है. सीएम नीतीश कुमार ने जो किया, वह भी सबके सामने है. 2006 में पंचायतों में आरक्षण दिया गया. 2007 में नगर निकाय में आरक्षण दिया गया और तीन से चार बार चुनाव हो चुके हैं. लेकिन बीजेपी के लोगों को 2024 दिख रहा है और इसलिए आरक्षण को लेकर साजिश रच रहे हैं. क्योंकि अति पिछड़ा वर्ग नीतीश कुमार के साथ है.'- ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, JDU

JDU अध्यक्ष ललन सिंह ने बीजेपी पर साधा निशाना :जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने पार्टी नेताओं को इस कार्यक्रम को प्रखंड और गांव स्तर तक ले जाने का निर्देश दिया. बीजेपी के खंडयंत्र के खिलाफ सड़क पर संघर्ष करने का आह्वान भी किया. आगे कहा कि नीतीश कुमार ने गांधी मैदान में कहा था कि बिजली के क्षेत्र में भी सुधार नहीं हुआ तो हम वोट मांगने नहीं आएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में साहस है तो गांधी मैदान में यह कहें कि, यदि काम नहीं किया है तो वोट मत दीजिए. कुछ काम ही नहीं किया है, तो कहेंगे कैसे. जबकि नीतीश कुमार को काम के बदौलत वोट मिलता है.

ललन सिंह ने पीएम मोदी पर साधा निशाना :ललन सिंह ने बीजेपी पर निशाना साधते (JDU President Lalan Singh Targeted BJP) हुए कहा कि महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा नहीं करना चाहते हैं. संप्रदायिक और धार्मिक उन्माद को लेकर चर्चा करते हैं. यह भी कहा कि नीतीश कुमार का अनुसरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं. हर घर बिजली योजना, हर घर नल जल योजना पहले बिहार में शुरू हुआ और तब इसे केंद्र ने पूरे देश में लागू किया. नीतीश कुमार के पास विजन है. प्रधानमंत्री के पास देश चलाने की कोई सोच नहीं है.

बिहार नगर निकाय चुनाव स्थगित :दरअसल बिहार नगर निकाय चुनाव 2022, 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को होना था. लेकिन हाईकोर्ट ने अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर चुनाव पर रोक लगा दी. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बिहार सरकार ने आयोग का गठन नहीं किया. जिसके आधार पर तीन टेस्ट करना था और उसके बाद अति पिछड़ा को आरक्षण देना था. हाईकोर्ट ने 20% अति पिछड़ा वर्ग आरक्षण को समाप्त कर चुनाव कराने का निर्वाचन आयोग को सलाह भी दिया. इसके बाद बीजेपी नीतीश कुमार पर हमलावर है.

SC के आदेश को बिहार सरकार ने नहीं माना :सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार आयोग नहीं बनाने और अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण को लेकर बीजेपी सीएम नीतीश कुमार और जदयू पर हमला बोल रही है. वहीं, जदयू का कहना है कि बिहार सरकार इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. लेकिन बीजेपी आरक्षण विरोधी है, क्योंकि बिना आरक्षण के ही वह चाहती है चुनाव हो और उसी को लेकर हम लोग जनता के बीच पोल खोल कार्यक्रम कर रहे हैं. आगे भी यह अभियान चलेगा. दूसरी तरफ बीजेपी भी धरना देने की घोषणा कर दी है. यानी अति पिछड़ा आरक्षण पर सियासत आगे और तेज होगा. क्योंकि दोनों दलों की नजर 2024 लोकसभा चुनाव पर है.

तीन जांच की अर्हता पूरी होने के बाद फैसला :बता दें कि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. तीन जांच के प्रावधानों के तहत ईबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़ें जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है. साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ईबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करे.

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