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'राष्ट्रीय दर्जा' हासिल करने के लिए 5 राज्यों के चुनाव पर JDU की नजर, जानें पूरी रणनीति..

अगले साल उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव (Five States Assembly Elections) के लिए जेडीयू ने अपनी कमर कस ली है. आगामी चुनाव के साथ ही जेडीयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सके इसके लिए पार्टी कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

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Published : Dec 27, 2021, 6:56 PM IST

जेडीयू का मिशन नेशनल
जेडीयू का मिशन नेशनल

पटना:बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू पिछले लंबे समय से दूसरे राज्यों में पांव पसारने की कोशिश कर रही है, लेकिन बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली है. अगले साल उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में चुनाव होना हैं, इसके लिए जेडीयू का मिशन नेशनल जारी है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी इसके लिए मोर्चा संभाला है. जेडीयू की यूपी में बीजेपी से तालमेल (JDU aligns with BJP in UP) की कोशिश जारी है. वहीं, मणिपुर और गोवा में लगातार पार्टी के नेता कार्यक्रम कर रहे हैं.

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जेडीयू पहले भी कई राज्यों में चुनाव लड़ चुकी है, लेकिन अधिकांश जगह असफलता ही हाथ लगी है. यही कारण है कि पार्टी का विस्तार बिहार से बाहर बहुत अधिक नहीं हो पाया है, लेकिन जब से ललन सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली है, पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी (JDU engaged in achieving National Party Status) बनाने के लिए काम कर रहे हैं. पार्टी की नजर अब अगले साल उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव पर लगी है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह मणिपुर और गोवा में लगातार कार्यक्रम कर रहे हैं. दिल्ली में चुनाव लड़ने की रणनीति को लेकर कई बैठकें हो चुकी हैं. ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद नॉर्थ ईस्ट के लिए कमेटी का भी गठन कर दिया है.

पांच राज्यों के चुनाव पर JDU की नजर

''नीतीश कुमार ने जो काम किया है, उसे दूसरे राज्यों ने भी अपनाया है. ये हमारे लिए बड़ी पूंजी है और उसे लेकर ही हम दूसरे राज्यों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे. शराबबंदी और समाज सुधार जैसे बड़े मुद्दे भी हमारे पास हैं.''- रुदल राय, पूर्व एमएलसी, जेडीयू

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''उत्तर प्रदेश में बीजेपी के साथ तालमेल होना तय है, कितनी सीटों पर तालमेल होगा, इस पर फैसला होना है. वहीं, मणिपुर और अन्य राज्यों में पार्टी इसलिए चुनाव लड़ने जा रही है क्योंकि राष्ट्रीय पार्टी के लिए जो अहर्ता है वह पूरा हो सकें और हम लोगों का यह मिशन है.''- उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेडीयू संसदीय बोर्ड

''मणिपुर में भी हम लोग इस बार चुनाव लड़ेंगे और राष्ट्रीय अध्यक्ष वहां बैठक भी कर चुके हैं. रामप्रीत मंडल को वहां का प्रभारी भी बनाया गया है. अन्य राज्यों को लेकर भी राष्ट्रीय स्तर पर फैसला हो रहा है.''-संजय झा, जेडीयू मंत्री

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''बिहार से बाहर जेडीयू चुनाव लड़े ये तो अच्छी बात है, लेकिन जेडीयू को लाभ तभी मिलेगा जब बीजेपी के साथ उसका गठबंधन हो जाए, क्योंकि जेडीयू की बिहार से बाहर संगठन स्तर पर बहुत बेहतर स्थिति नहीं है. ऐसे में बीजेपी से तालमेल होने पर ही जेडीयू को कुछ लाभ हो सकता है.''-प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

उत्तर प्रदेश पर सबसे अधिक जेडीयू का ध्यान है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में बीजेपी के साथ तालमेल को लेकर लंबे समय से बातचीत हो रही है. नीतीश कुमार अपने भरोसेमंद आरसीपी सिंह को इसमें लगाया है. हालांकि, बहुत ज्यादा सीट पर तालमेल होगा, इसकी संभावना कम ही है. लेकिन, कुछ भी सीट पर यदि समझौता होता है तो जेडीयू का खाता उत्तर प्रदेश में खुलना तय माना जा रहा है.

मणिपुर और गोवा में भी अधिक से अधिक उम्मीदवार उतारने की तैयारी है. जहां तक पंजाब और उत्तराखंड की बात है तो पार्टी ने अभी तक इसको लेकर रणनीति का खुलासा नहीं किया है. मणिपुर के अलावा पार्टी का बहुत अधिक जनाधार भी कहीं नहीं है, लेकिन नीतीश कुमार के काम की बदौलत पार्टी इस बार अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है और उसमें शीर्ष नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी गई है.

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