पटना: बिहार सरकार की नजर अब निजी मंदिरों पर है. दरअसल अब सरकार निजी मंदिरों से टैक्स वसूलने की तैयारी (Government Will Collect Tax From Private Temples) में है. वैसे मंदिर जो निजी हाथों में है. किसी के घर में स्थापित है या सड़क किनारे किसी खास व्यक्ति के द्वारा बनवाया गया है लेकिन वहां पर लोग भारी संख्या में पूजा करने पहुंचते हैं. उस मंदिर को अपनी आय प्राप्त होती है तो वैसे मंदिरों को चिह्नित कर सरकार अब उनसे टैक्स वसूलेगी.
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राजधानी पटना में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनको महीने में लाखों रुपए की आय प्राप्त होती है लेकिन वह बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (Bihar State Religious Trust Board) से रजिस्टर्ड नहीं है. यानी कि उस मंदिर की आय का कोई लेखा-जोखा सरकार के पास नहीं है लेकिन इस मंदिर के चढ़ावे से लाखों रुपए की प्राप्ति होती है.
पटना के काली मंदिर, अखंड वासिनी मंदिर और पुलिस लाइन के पास दुर्गा मंदिर हैं, जो न्यास बोर्ड से अभी तक रजिस्टर्ड नहीं हैं. अब उन मंदिरों को चिह्नित कर धार्मिक न्यास परिषद में शामिल करने की पहल होगी. उसके बाद इन मंदिरों से टैक्स भी वसूलने का काम होगा.
धार्मिक न्यास बोर्ड से फिलहाल मात्र 4500 मंदिर रजिस्टर्ड हैं. ऐसे में अभी हजारों मंदिर हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन अभी तक नहीं हुआ है. लगभग 8000 से ज्यादा इनकी संख्या है. इनमें कई बड़े मंदिर भी शामिल हैं. इन मंदिरों को रजिस्ट्रेशन के दायरे में लाने के लिए पहल शुरू कर दी गई है.
दरअसल, जिन लोगों के घरों में मंदिर हैं या निजी स्तर पर लोगों की ओर से मंदिर का निर्माण कराया गया है, वहां पर सार्वजनिक पूजा होती है. वैसे मंदिर को सार्वजनिक माना जाएगा और उस मंदिर से 4% टैक्स वसूला जाएगा. राज्य के अब निजी मंदिर धार्मिक न्यास बोर्ड से जुड़ जाएंगे तो यह मंदिरों की देखरेख धार्मिक न्यास बोर्ड की तरफ से किया जाएगा. इन मंदिरों का संचालन बोर्ड के नियमों के अनुसार होगा.
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वहीं इस मामले को लेकर के निजी मंदिरों के पुजारी नाराज दिख रहे हैं. अखंड वासिनी मंदिर के प्रबंधक विशाल तिवारी कहते हैं कि अपनी निजी जमीन का टैक्स वो लोग पहले से ही जमा करते हैं. बिजली कनेक्शन लिया गया है तो उसका बिल भी जमा किया जाता है. वे कहते हैं कि अगर हम अपने घरों में भी पूजा करते हैं और लोग दर्शन के लिए आते हैं तो उस पर टैक्स लेना सरासर गलत है. सरकार निजी मंदिरों पर टैक्स लगाने का नियम ला रही है, यह बिल्कुल गलत है.
जानकार कहते हैं कि पटना ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में ऐसे कई मंदिर हैं, जिनको लाखों-लाख रुपए चढ़ावा से प्राप्त होता है, लेकिन सरकार के पास इन मंदिरों का कोई लेखा-जोखा नहीं है. रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण धार्मिक न्यास बोर्ड से यह मंदिर स्वतंत्र हैं. ऐसे में जब धार्मिक न्यास बोर्ड से इन मंदिरों का रजिस्ट्रेशन हो जाएगा तो सरकार के पास राज्य के तमाम मंदिरों का ब्योरा भी रहेगा, साथ ही साथ धार्मिक न्यास परिषद को इनकम भी होगा. जिससे कि धार्मिक न्यास बोर्ड की जो दयनीय स्थिति है, उसमें सुधार भी आएगा.
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