पटनाःबिहार में कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है. पटना में गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी (Water Leval Rising Of Ganga River) हो रही है. राजधानी में गंगा का जलस्तर डेंजर लेवल को 63 सेंटीमीटर कर चुका है. आने वाले कुछ घंटों में और बढ़ोतरी का अनुमान है. केंद्रीय जल आयोग (central water commission) के आंकड़े के अनुसार गंगा के जल स्तर में बढ़ोतरी हो रही है. राजधानी पटना में गंगा का डेंजर लेवल का मानक 50.45 मीटर (Ganga Danger Leval In Patna) माना जाता है. फिलहाल गंगा का जल स्तर 52.01 मीटर है. वहीं पटना में अबतक का गंगा का अधिकतम जल स्तर 52.52 मीटर (Highest Water Leval) रहा है.
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"हर साल बाढ़ के कारण मवेशी और परिवार के साथ किसी तरह सड़क पर गुजर बसर कर लेते थे. इसबार फोर लेन सड़क बन जाने के कारण वहां शरण लेने में परेशानी है. मजबूरी है कहां जाएं. अभी से ही हम लोग घर के सामानों को लेकर के सड़क किनारे ऊंची जगहों पर रख रहे हैं, ताकि स्थिति खराब हो तो जान-माल का नुकसान न हो. स्थानीय विधायक और जिला प्रशासन से गुहार है कि कम से कम नाव की सुविधा हमें उपलब्ध करा दें."-स्थानीय ग्रामीण, बिंदटोली
और जल स्तर बढ़ा तो गांव जलमग्न हो जाएगाःगंगा का जलस्तर जिस रफ्तार से बढ़ रहा है. ऐसे में राजधानी पटना के गंगा किनारे बसे बिंदटोली के लोगों को बाढ़ का डर सताने लगाने है. इलाके में लोगों के कई घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है. जल स्तर में और बढ़ोतरी हुई तो स्थिति और भी गंभीर होने की संभावना है. ईटीवी भारत की टीम को बिंद टोली में लोगों ने बताया कि पूरा गांव गंगा के पानी से घिर गया है. कई घरों में पानी घुस गया है. जल स्तर में मामूली बढ़ोतरी के बाद पूरा गांव जलमग्न हो जाएगा.
पशु चारा 16 से 18 रुपयाःग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ का पानी दियारा क्षेत्र में आने से सभी फसल बर्बाद हो गया है. कई एकड़ में सब्जी की खेती की गई थीस, लेकिन गंगा का जलस्तर बढ़ने से सब्जी का खेती पूरी तरह से बर्बाद हो गया है. मवेशियों के चारे के लिए भी समस्या उत्पन्न होने लगा है और चारा 16 से 18 रुपया किलो हो गया है. चारा इतना महंगा होने से मवेशियों को खिलाने में मुश्किल आ रही है. बाढ़ के समय इसे लाने का खर्च और रखने की समस्या है.
नाव की सुविधा की मांगः बिंदटोली के लोगों ने बताया कि बाजार जाने के लिए भी सरकार की तरफ से अभी तक नाव मुहैया नहीं करायी गई है, जिस कारण से हम लोगों को लगभग 3 से 4 किलोमीटर घूम कर बाजार जाना पड़ता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार अगर नाव मुहैया करा दे तो आसानी से हम लोग बाजार से राशन ला सकते हैं. बीमारी को भी बाहर निकालने में सुविधा होगी.
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