पटना: बिहार में बाढ़ के चलते मुश्किलों का दौर अभी भी थमा नहीं है. कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और दरभंगा के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा बरकरार है. बिहार का शोक कोसी नदी और बागमती नदी भी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है. आइये आपको बताते हैं कि बिहार के वो कौन से जिले हैं जो सबसे ज्यादा प्रभावित है.
दरभंगा : तीन प्रखंड में सबसे ज्यादा बाढ़ का खतरा
दरभंगा में बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है. लोग बाढ़ के पानी से भयभीत होकर अपने स्तर से सुरक्षा के उपायों में जुटे हुए हैं. शहर से सटे बहादुरपुर प्रखंड, हनुमान नगर प्रखंड तथा हायाघाट के कई पंचायतों में बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. इन प्रखंडों के दर्जनों गांव बाढ़ के पानी से चारों तरफ से घिर चुका है. लोग खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं.
दर्द: 'हमारे घर का सामान बाढ़ के पानी में बह गया
'दरभंगा के हनुमाननगर प्रखंड में बाढ़ के कहर से लोग अभी भी परेशान हैं. बच्चे, बड़े, बूढ़े सभी दाने-दाने को तरस गए हैं. बाढ़ पीड़ित सरयू कहते है कि हर साल हम लोग बाढ़ से मरते है. 10 दिनों से जिंदगी पानी-पानी हो गई है. सामान पानी में डूब, घर पानी में डूब गया, रेल लाइन पर रहने को मजबूर हैं, एक शाम खाना मिलता है तो एक शाम भूखे रहते हैं. प्रशासन से कोई राहत नहीं मिला है.
वहीं, जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन ने बताया कि बाढ़ से अब तक जिले के 17 प्रखंड में 173 पंचायत पूर्ण रूप से और 35 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं. बाढ़ से प्रभावित प्रखंडों में राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है. जिला प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवारों को सामुदायिक रसोई के माध्यम से भोजन परोसा जा रहा है.
पश्चिम चंपारण में बाढ़ का कहार
पश्चिम चंपारण में गंडक, हरहा, हड़बोरा, पंडई, सिकरहना समेत सभी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. नरकटियागंज, बैरिया, सिकटा, मैनाटांड़, योगापट्टी और बगहा समेत कई प्रखंडों के निचले और दियारावर्ती क्षेत्रों में पानी फैल गया है. जिले के भितिहरवा का गौनाहा क्षेत्र पंडई नदी के कटाव से विलुप्त होने की कगार पर है. पंडई नदी का रौद्र रूप बढ़ता ही जा रहा है. बेलवा पंचायत का मुरली भैरहवा, पिपरा, माधोपुर जैसे गांव इसकी चपेट में है. सरकार की तरफ से राहत कार्य के नाम पर तटों पर सैंड बैग रखवाया गया है. जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है.
पूर्वी चंपारण में बाढ़ कहर
पूर्वी चंपारण में भी नदियां उफान पर हैं. आठ जुलाई से शुरु हुई बारिश और नेपाल से आयी बाढ़ ने पूर्वी चंपारण के कई इलाकों में जमकर तबाही मचाई है. ढाका प्रखंड स्थित भारत नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र गुरहनवा गांव के घरों में पानी घुस गया है. बाढ़ में गांव का का जिक्र करते हुए पीड़ित सुनीता देवी का गला रूंध जाता है. ईटीवी भारत को अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहती हैं, दो दिन खिचड़ी सरकार की तरफ से मिला. अब तो वो भी बंद है. सब कुछ खत्म हो गया है. 600 का प्लास्टिक खरीद कर सिर ढक रखे हैं. बाढ़ खत्म होगा उसके बाद क्या होगा?