बिहार

bihar

ETV Bharat / city

250 साल पहले अमरावती से आया था परिवार, 91 साल से बनारस में मना रहे गणपति महोत्सव - वाराणसी में गणेश उत्सव की शुरुआत

महाराष्ट्र के अमरावती से 250 साल पहले काशी पहुंचे पंडित गौरीनाथ पाठक का परिवार संस्कृत और वेद-वेदांग की परंपराओं को आज भी संजोए हुए है.

बनारस में मना रहे गणपति महोत्सव

By

Published : Sep 1, 2019, 8:37 PM IST

वाराणसी: काशी जिसके कई नाम हैं. वाराणसी यानी 'वरुणा' और अस्सी के तट पर बसा शहर बनारस यानी 'बना बनाया रस' जैसा कि इस शहर के नाम से ही साफ होता है. इस शहर में संस्कृति, सभ्यता, जाति-धर्म सबका समागम देखने को मिलता है. काशी में त्योहार खूब मनाए जाते हैं, चाहे राजस्थान का गणगौर हो या फिर महाराष्ट्र का गणेश उत्सव. गणेश उत्सव की तैयारी में इन दिनों बनारस में रह रहा मराठी परिवार जी जान से जुटा हुआ है. काशी के अगस्त्यकुंडा के शारदा भवन में रहने वाला यह मराठी परिवार बीते 91 सालों से अपनी परंपरा के अनुसार महाराष्ट्र की संस्कृति को उत्तर भारत में जीवित रखने में जुटा हुआ है.

अमरावती से आया था परिवार
महाराष्ट्र के अमरावती से 250 साल पहले काशी पहुंचे पंडित गौरीनाथ पाठक का परिवार संस्कृत और वेद-वेदांग की परंपराओं को आज भी संजोए हुए है. गुरुकुल परंपरा का निर्वहन करते हुए स्वर्गीय गौरी शंकर पाठक ने 1929 में शारदा भवन में श्री गणेश उत्सव की शुरुआत की. कर्नाटक और महाराष्ट्र के अपने छात्रों के कहने पर उन्होंने इस गणेश उत्सव को शुरू किया.

पेश है रिपोर्ट

91 साल से मना रहे गणपति महोत्सव
इस उत्सव की कमान संभालने वाले विनोद राव पाठक का कहना है कि पिताजी ने गणेश उत्सव के 21 साल पूरे होने पर उन्होंने इसे बंद करने की बात कही. लेकिन उनके शिष्यों ने ऐसा नहीं करने दिया. ऐसे में इस बार इस गणेश उत्सव के 91 साल पूरे हो जाएंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि अमरावती से बनारस आकर बसे इस परिवार ने आज भी अपने वेद-वेदांत और परंपरा को जीवित रखा है.

ये परिवार एकजुटता और अखंडता का देता है पवित्र संदेश
7 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में महिलाएं जी जान से जुटी रहती हैं. उत्तर भारत में गणेश उत्सव के नाम पर महाराष्ट्र की संस्कृति का एक अद्भुत समागम काशी के इस मराठी परिवार के रूप में देखने को मिलता है जो यह साबित करता है कि आज भी भारत में धर्म-जाति और मजहब के नाम पर बांटने वाले लोग भले ही कितना प्रयास कर लें, लेकिन काशी जैसे इस अद्भुत शहर में गणेश उत्सव के नाम पर यह मराठी परिवार एकजुटता और अखंडता का पवित्र संदेश देता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details