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सूर्य ग्रहण का क्या प्रभाव पड़ेगा मानव जाति पर, बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य उमेश चंद्र

ज्योतिषाचार्य कुमार उमेश चंद्र ने बताया कि सूर्य ग्रहण काल में मानस पूजा का विशेष महत्व है. इससे शांति और ग्रह-नक्षत्र के प्रभाव को दूर किया जा सकता है.

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Published : Jun 20, 2020, 8:21 PM IST

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पटना: इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगने वाला है. ये ग्रहण सुबह 10:37 बजे से शुरू होगा और दोपहर बाद 03:04 बजे तक रहेगा. इस ग्रहण का मध्य 12:10 के आसपास रहेगा. जिसमें सूर्य फायर रिंग के रूप में नजर आएगा. रविवार को पड़ने वाले ग्रहण का सूतक काल शनिवार रात 10:37 से शुरू हो जाएगा.

इस सूर्य ग्रहण का जीव-जंतु से लेकर मनुष्य जाति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस बारे में ज्योतिषाचार्य कुमार उमेश चंद्र ने ईटीवी भारत को बताया.

ग्रहण का समय:

  • ग्रहण की शुरुआत: 10:37 से होगी
  • स्पर्श: 10 बजकर 37 मिनट पर
  • मध्य: 12 बजकर 25 मिनट पर
  • मोक्ष: दिन में 2 बजकर 9 मिनट पर

सूतक कब प्रारंभ होगा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस कंकण सूर्य ग्रहण का सूतक शनिवार दिनांक 20 जून को है, जो रात्रि 10:37 बजे से प्रांरभ हो जाएगा. सूतक लगने के बाद कुछ भी खाना-पीना वर्जित रहता है. रोगी, वृद्ध, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां सूतक के दौरान खाना-पीना खा सकते हैं. पके हुए भोजन, पीने का पानी, दूध, दही आदि में तुलसी पत्र या कुशा डाल दें. इससे सूतक का प्रभाव इन चीजों पर नहीं होता.

ग्रहण काल में क्या सावधानियां बरतें:
ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है. इसलिए कई ऐसे कार्य हैं, जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किए जा सकते हैं. सूर्य ग्रहण को कहीं ना कहीं कोरोना संक्रमण काल के लिए शुभ माना जा रहा है. इससे विश्व में शांति और कल्याण की संभावना जताई जा रही है.

ग्रहण का राशिफल
यह ग्रहण मृगशिरा एवं आर्द्रा नक्षत्र और मिथुन राशि में होगा. इस राशि/नक्षत्र में उत्पन्न लोगों के लिए यह अशुभ है. इस राशि वालों को ग्रहण-दान, पाठ, आदित्यहृदय स्तोत्र, सूर्याष्टक स्तोत्रों का पाठ विशेष रूप से करना चाहिए. ज्योतिषाचार्य कुमार उमेश चंद्र ने बताया कि सूर्य ग्रहण काल में मानस पूजा का विशेष महत्व माना गया है. लोक मानस पूजा के माध्यम से शांति और ग्रह नक्षत्र को दूर किया जा सकता है.

देखें पूरी रिपोर्ट
ग्रहण काल में क्या करें और क्या ना करें:
  • ग्रहणकाल में सोना नहीं चाहिए.
  • वृद्ध, रोगी, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां जरूरत के अनुसार सो सकती हैं.
  • ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए.
  • ग्रहणकाल में यात्रा नहीं करना चाहिए, दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती है.
  • ग्रहणकाल के समय स्नान न करें.
  • ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें.
  • ग्रहण को खुली आंखों से न देखें.
  • ग्रहणकाल के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए.

गर्भवती स्त्रियों का रखें विशेष ध्यान
ग्रहणकाल में गर्भवती स्त्रियों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. उनको इस समय ग्रहण काल का विशेष पालन करना चाहिए. ग्रहण का सबसे अधिक असर गर्भवती स्त्रियों पर होता है. ग्रहण काल के दौरान गर्भवती स्त्रियां घर से बाहर न निकलें. बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें. इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं होगा. ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें, जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला हो. गर्भवती स्त्रियां ग्रहण के दौरान चाकू और कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें. इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ता है. सुई से सिलाई भी न करें. माना जाता है कि इससे बच्चे के कोई अंग जुड़ सकते हैं.

इन मंत्रों का करें जाप

  • भगवान श्रीकृष्ण का मंत्र -ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • महामृत्युंजय मंत्र- ओम त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव वंदना मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

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