पटना: ये है राजधानी के बांकीपुर के सिपाही घाट स्थित स्लम बस्ती. यहां की सैकड़ों महिलाएं घरेलू कामगार के तौर पर काम कर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं. लेकिन इन दिनों इनके पास कोई काम नहीं है. वजह है कोरोना काल में जारी लॉकडाउन. कोरोना का संक्रमण न फैले, लिहाजा जिनके घरों में ये महिलाएं काम करती थीं, उन लोगों ने इन्हें काम पर आने से मना कर दिया है.
असल में 25 मार्च को लॉकडाउन लगने के बाद धीरे-धीरे इन्हें काम पर आने से मना किया जाने लगा. हालांकि मार्च के पैसे तो मिले, लेकिन अप्रैल में काम पर नहीं जाने के कारण पैसे नहीं मिले हैं. 3 मई के बाद पता चलेगा कि मई में भी काम पर जा पाएंगे या नहीं.
पैसे नहीं मिलेंगे तो कैसे चलेगी जिंदगी
हालांकि घरेलू कामगार सोनी कहती है कि उनकी मालकिन ने मार्च में लॉक डाउन के कारण 10 दिन का पैसा काट लिया. 1500 प्रति महीने पर काम करती थी, हजार रुपए ही मिले. वहीं, मगध महिला कॉलेज की हॉस्टल में दाई का काम करने वाली रिंकू देवी की शिकायत है कि प्रिंसिपल मैडम ने एक बार भी उसकी खबर नहीं ली.
खुद से घर के काम कर रहे हैं लोग
दाई को काम पर नहीं बुलाना लोगों की भी मजबूरी है. स्थानीय पार्वती देवी कहती हैं कि कोरोना संक्रमण के डर से फिलहाल दाई को काम पर आने से रोक दिया है, खुद से घर के कामकाज कर रही हैं. तो क्या उन्हें इस दौरान दाई को तनख्वाह दे रही हैं, जवाब सुनिए.