पटना :राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में साइबर अपराधीनए-नए तरीकों के साथ आम इंसान को लूट रहे हैं. राजधानी पटना के गांधी मैदान थाना अंतर्गत आरबीएल बैंक के तीन ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड उनके जेब में होने के बावजूद भी उनके पैसे की निकासी कर ली गई.
जानकारी के अनुसार, तीनों ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड से साइबर अपराधियों ने ₹133000 की निकासी की. ग्राहकों द्वारा अज्ञात साइबर फ्रॉड और बैंक प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है. जालसाजों ने बिना क्रेडिट कार्ड के इरेजर एप के जरिए रुपयों को अपने खातों में ट्रांसफर कर लिया.
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अमित के खाते से ₹74000 हुए ट्रांसफर
जालसाजी का इस तरह का नया मामला पहली बार देखने को मिला है. निजी कंपनी में काम करने वाले अमित कुमार ने दो क्रेडिट कार्ड लिया था जिसमें से एक कार्ड से 16 जनवरी को ₹16000 और 17 जनवरी को ₹29000 दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर किये गयी. ठीक उसी प्रकार दूसरे कार्ड से भी ₹29000 ट्रांसफर कर लिए गए.
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जेब में क्रेडिट कार्ड फिर भी निकासी
सूरज कुमार जो कि एक निजी कंपनी में कर्मचारी है. 16 जनवरी को ही अकाउंट से ₹16000 ट्रांसफर किए गए. इसी तरह एक दवा कंपनी में एम आर के पद पर कार्यरत पूर्णेन्दु कुमार के खाते से भी ₹43000 की निकासी की गई है. यह ऐसे मामले हैं जहां पर उनके जेब में क्रेडिट कार्ड होने के बावजूद भी उनके पैसे की निकासी आसानी से हो गई है.
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फतुहा में महिला के खाते से 25 हजार की निकासी
पटनासिटी के फतुहा थाना क्षेत्र स्थित बांकीपुर गोरख मोहल्ले की निवासी रीना देवी के खाते से 25 हजार रुपये की अवैध निकासी हुई. इसकी लिखित सूचना पीड़ित महिला ने फतुहा थाने में दर्ज करवाई है. पीड़ित महिला ने बताया कि फतुहा स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में उसका जमा खाता है. लेकिन जालसाजों ने दो दिनों के अंदर उसके खाते से 25 हजार की निकासी कर ली. इसका मैसेज उसके मोबाइल फोन पर आया है. लेकिन उसने पैसे की निकासी नहीं की है. वहीं, मेरा पासबुक और एटीएम मेरे पास ही है.
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दो दिनों में 20 हजार की निकासी
इसके अलावा दूसरी घटना धनरुआ थाना क्षेत्र के चकमहली कोसुत गांव की है. यहां के निवासी नीतीश कुमार के अकाउंट से भी दो दिनों में 10-10 हजार रुपये की अवैध निकासी जालसाजों ने कर ली. इसको लेकर भी नीतीश कुमार ने थाने में शिकायत की. इस मामले में पुलिस की तरफ से छानबीन की जा रही है. पुलिस के जांच के उपरांत ही यह कह पाना मुमकिन होगा कि इस मामले में बैंक की भूमिका संलिप्त है या नहीं.
'लोगों की गलती से हुआ फ्रॉड'
इन तीनों मामलों में साइबर एक्सपर्ट रंजन सिंह की मानें तो आम इंसान का मोबाइल ही उनका बैंक है. जब तक आम इंसान गूगल पे, रेजर पे फोन पे या पेटीएम का उपयोग अपने मोबाइल फोन में नहीं करेंगे, तब तक उनके पैसे की निकासी आसानी से कोई भी साइबर फ्रॉड नहीं कर सकता है. जरूर उनके तरफ से ही किसी ना किसी तरह का एक्सेस मोबाइल में लिया गया होगा तभी क्रेडिट कार्ड के माध्यम से उनके पैसे की निकासी हुई है.
'पीड़ितों को पैसा मिलेगा या नहीं?'
इन मामलों में पुलिस और आर्थिक अपराध इकाई द्वारा छानबीन की जा रही है. जांच के उपरांत ही पता चल पाएगा कि क्या व्यक्ति की गलती है या बैंक की. अगर बैंक की गलती होगी तो उनका पैसा वापस होगा, अन्यथा पीड़ित को पैसा नहीं मिलेगा. लोगों को काफी सचेत रहने की जरूरत है.
जानें क्या है एक्सपर्ट की राय. लोगों में जागरुकता की कमी
रंजन सिंह का मानना है कि आम लोगों के बीच में जागरूकता की कमी है. तभी विगत सालों में इस तरह के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. आर्थिक अपराध इकाई, पुलिस और बैंक की तरफ से लगातार आम इंसान को सतर्क रहने के लिए विभिन्न माध्यमों से अपील की जा रही है.