पटना: जिस बाजार को देखिए, दुकानें बंद मिलेंगी. डेढ़ महीने से ज्यादा वक्त से हर शहर और बाजार का यही हाल है. लॉकडाउन के कारण सड़क पर पर इक्के-दुक्के वाहन तो चलते फिर भी दिख जाते हैं, लेकिन आवश्यक सेवाओं को छोड़कर कोई भी दुकान खुली नहीं दिखती. शटर बंद है और कारोबार ठप है. हालांकि 8 मई से सरकार ने थोड़ी राहत देते हुए कुछ दुकानों को शर्तों के साथ खोलने की अनुमति दी है.
लॉकडाउन के दौरान खुलने वाली दुकानें
इलेक्ट्रिकल सामान, पंखा, कूलर व एसी बेचने और मरम्मत करने वाली दुकानें, मोबाइल, कम्प्यूटर, लैपटॉप, यूपीएस व बैट्री बेचने व मरम्मत करने वाली दुकानें, मोटर वाहन गैरेज, मोटर साइकिल व स्कूटर मरम्मत वर्कशॉप, ऑटोमोबाइल, स्पेयर पार्ट्स दुकानें, टायर, ट्यूब, लुब्रिकेंट की दुकानें, प्रदूषण जांच केंद्र, सीमेंट, स्टील, बालू, गिट्टी, ईट की दुकानें, प्लास्टिक पाइप दुकान, हार्डवेयर, सैनिटरी फिटिंग दुकान, लोहा, शटरिंग सामग्री और पेंट की दुकानें शामिल हैं.
लॉकडाउन से कारोबारी परेशान
लॉकडाउन से परेशान कारोबारी कहते हैं कि चाहे होलसेल हो या रिटेलर, सभी परेशान हैं. दुकानें बंद होने से बिक्री नहीं हो रही है. इस वजह से सप्लाई चेन भी बाधित है. होल सेलर इसलिए परेशान हैं, क्योंकि उनका पूरा पैसा मार्केट में फंसा हुआ है. रिटेलर की दुकानें बंद है तो उनकी बिक्री नहीं हो रही. जाहिर है जब बिक्री नहीं होगी तो वह अपनी दुकान का किराया, बिजली का बिल और स्टाफ की सैलरी कैसे देंगे.
कपड़ों की दुकान भी खुलनी चाहिए
कपड़ों के बड़े व्यवसाई पप्पू सर्राफ कहते हैं कि सरकार को व्यापारी वर्ग पर तुरंत ध्यान देना चाहिए. क्योंकि इस लॉकडाउन का सबसे ज्यादा प्रभाव व्यवसायी वर्ग पर पड़ रहा है. दुकानें बंद हैं, पूरा स्टॉक अब खराब होने लगा है. आखिर इतने बड़े नुकसान की भरपाई हम कैसे करेंगे? हालात बहुत बुरी है, सरकार को हमारी भी मदद करनी चाहिए.
ज्वेलरी दुकान पर ताला लटका कैसे मैनेज करेंगे खर्च
कुछ ऐसी ही परेशानी रिटेलर्स की भी है. कपड़ों के रिटेल व्यवसाय से जुड़े अमित कुमार अग्रवाल कहते हैं कि हमारे पास स्टाफ को देने को पैसे नहीं हैं. ऊपर से बिजली बिल, दुकान का भाड़ा, बैंक की ईएमआई कहां से मैनेज होगा. वे सवालिया लहजे में कहते हैं कि क्या कपड़ों की जरूरत लोगों की नहीं पड़ती.
लॉकडाउन बढ़ा तो मुश्किल हो जाएगी
वहीं, नाला रोड के बड़े फर्नीचर व्यवसाई सुनील कुमार कहते हैं कि पटना के अलावा उनकी दिल्ली में भी एक प्रोडक्शन यूनिट भी है. जहां हर महीने का खर्च लाखों में है. अभी तक तो जैसे-तैसे कट गए, लेकिन अगर आगे भी लॉकडाउन बढ़ा तो बहुत मुश्किल हो जाएगी. वे बताते हैं कि फर्नीचर को पहुंचाने और लाने में ठेले वाले और छोटी गाड़ियों का भी बड़ा रोल होता है, उन सब की कमाई भी प्रभावित हुई है.
ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट सरकार से राहत की उम्मीद
जाहिर है, कारोबारियों पर लॉकडाउन का असर जबर्दस्त तरीके से दिख रहा है. डेढ़ महीने से दुकानों पर ताला लगे रहने से उनकी की आर्थिक स्थिति चरमराने लगी है. लिहाजा ये लोग सरकार से दुकान खोलने की अनुमति चाहते हैं ताकि फिर से कारोबार शुरू हो सके.