पटना: पहली बार बिहार में भाजपा बड़े भाई की भूमिका में नजर आई. 2020 राजनीतिक दृष्टिकोण से उथल-पुथल का साल रहा. कोरोना संकट काल में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए. बिहारवासियों ने संकट का मुकाबला किया और 2015 के मुकाबले 2020 में मतदान का प्रतिशत अधिक रहा.
चुनाव आयोग ने संकट की स्थिति को देखते हुए तीन चरण में चुनाव कराने का फैसला लिया और बेहतरीन तरीके से शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न करा लिए गए. 28 अक्टूबर को पहले चरण का चुनाव हुआ, जिसमें 70 सीटों के लिए मतदान हुए, 3 नवंबर को दूसरे चरण में 94 सीटों के लिए मतदान हुए तो 7 नवंबर को तीसरे चरण में 78 सीटों के लिए मतदान संपन्न कराए गए.
125 सीटें जीकर सत्ता पर काबिज हुई एनडीए
पहले चरण में महागठबंधन को जहां 48 सीटें मिली. वहीं, एनडीए के खाते में 21 सीटें गईं. दूसरे चरण में एनडीए ने 52 सीटों पर जीत हासिल कि और महागठबंधन 42 सीटों पर सिमट गई. तीसरे चरण में एनडीए को भारी बढ़त मिली और 53 सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि महागठबंधन 20 सीटों पर सिमट गई.
10 नवंबर को चुनाव के नतीजे आए तो एनडीए 125 सीटों के साथ सत्ता पर काबिज हुई. महागठबंधन महज 110 सीटों पर सिमट गई. इस बार विधानसभा चुनाव में 57.05% मतदान हुए जो कि 2015 के मुकाबले 0.39% अधिक थे. 2015 में 54. 68% मतदाताओं ने मतदान किया था. 2020 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं का वोट प्रतिशत 59.58% था. पुरुषों का मतदान प्रतिशत 54.68 रहा.
भाजपा कोटे से पहली बार दो उपमुख्यमंत्री बने
भाजपा के लिए 2020 सुखद रहा. 74 सीटों के साथ भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी. पहली बार विधानसभा अध्यक्ष भाजपा नेता विजय सिन्हा हुए और भाजपा कोटे में दो उपमुख्यमंत्री का पद गया. तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी उपमुख्यमंत्री बनाए गए. चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच राजनीतिक अदावत विधानसभा चुनाव का मुख्य आकर्षण रहा.