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अलविदा 2020: कोरोना काल में चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़े, नीतीश की लोकप्रियता में लगा बट्टा

2020 में बिहार की राजनीति के कई रंग देखने को मिले. कोरोना संकटकाल में विधानसभा चुनाव हुए. राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन महागठबंधन के उम्मीदों को पंख नहीं लग पाया. नीतीश कुमार को चिराग से अदावत का खामियाजा भुगतना पड़ा और जदयू तीसरे नंबर की पार्टी हो गई.

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Published : Dec 26, 2020, 6:03 AM IST

पटना: पहली बार बिहार में भाजपा बड़े भाई की भूमिका में नजर आई. 2020 राजनीतिक दृष्टिकोण से उथल-पुथल का साल रहा. कोरोना संकट काल में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए. बिहारवासियों ने संकट का मुकाबला किया और 2015 के मुकाबले 2020 में मतदान का प्रतिशत अधिक रहा.

चुनाव आयोग ने संकट की स्थिति को देखते हुए तीन चरण में चुनाव कराने का फैसला लिया और बेहतरीन तरीके से शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न करा लिए गए. 28 अक्टूबर को पहले चरण का चुनाव हुआ, जिसमें 70 सीटों के लिए मतदान हुए, 3 नवंबर को दूसरे चरण में 94 सीटों के लिए मतदान हुए तो 7 नवंबर को तीसरे चरण में 78 सीटों के लिए मतदान संपन्न कराए गए.

125 सीटें जीकर सत्ता पर काबिज हुई एनडीए
पहले चरण में महागठबंधन को जहां 48 सीटें मिली. वहीं, एनडीए के खाते में 21 सीटें गईं. दूसरे चरण में एनडीए ने 52 सीटों पर जीत हासिल कि और महागठबंधन 42 सीटों पर सिमट गई. तीसरे चरण में एनडीए को भारी बढ़त मिली और 53 सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि महागठबंधन 20 सीटों पर सिमट गई.

देखें रिपोर्ट.

10 नवंबर को चुनाव के नतीजे आए तो एनडीए 125 सीटों के साथ सत्ता पर काबिज हुई. महागठबंधन महज 110 सीटों पर सिमट गई. इस बार विधानसभा चुनाव में 57.05% मतदान हुए जो कि 2015 के मुकाबले 0.39% अधिक थे. 2015 में 54. 68% मतदाताओं ने मतदान किया था. 2020 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं का वोट प्रतिशत 59.58% था. पुरुषों का मतदान प्रतिशत 54.68 रहा.

भाजपा कोटे से पहली बार दो उपमुख्यमंत्री बने
भाजपा के लिए 2020 सुखद रहा. 74 सीटों के साथ भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी. पहली बार विधानसभा अध्यक्ष भाजपा नेता विजय सिन्हा हुए और भाजपा कोटे में दो उपमुख्यमंत्री का पद गया. तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी उपमुख्यमंत्री बनाए गए. चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच राजनीतिक अदावत विधानसभा चुनाव का मुख्य आकर्षण रहा.

चिराग पासवान ने जदयू के खिलाफ सभी सीटों पर लोजपा के उम्मीदवार खड़े किए. चिराग खुद को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते रहे और भाजपा के साथ सरकार बनाने की बात कहते रहे. चिराग के साथ दुश्मनी का नतीजा जदयू को भुगतना पड़ा और पार्टी महज 43 सीटों पर सिमट गई.

नीतीश को कमजोर कर गए चिराग
नीतीश कुमार के खिलाफ आम लोगों की नाराजगी भी कई जनसभाओं में देखने को मिली. चुनावी सभाओं में कई जगहों पर नीतीश कुमार के खिलाफ लोग जहां नारेबाजी करते दिखे तो कहीं प्याज भी फेंके गए. तेजस्वी यादव जहां इस चुनाव में स्थापित हुए. वहीं, चिराग पासवान अपने मकसद में तो कामयाब नहीं हुए, लेकिन नीतीश कुमार को कमजोर जरूर कर गए. दोनों युवा नेताओं ने बिहारवासियों को कई सपने दिखाए. तेजस्वी यादव ने जहां 10 लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया. वहीं, भाजपा ने 19 लाख लोगों को रोजगार देने का एलान किया.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में दो युवा चेहरे स्थापित हुए तो भाजपा इतिहास रचने में कामयाब हुई.

"पहली बार विधानसभा अध्यक्ष का पद भाजपा कोटे में गया और पार्टी के खाते में दो उपमुख्यमंत्री का पद गया. नीतीश फिर एक बार भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए."- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

"इस चुनाव में तेजस्वी युवा चेहरा के रूप में उभर कर सामने आए. भाजपा सबसे बड़ी गेनर साबित हुई तेजस्वी यादव राजद के शर्मा नेता हुए और लालू के विरासत संभालने में कामयाब हुए."- सरोज सिंह, वरिष्ठ पत्रकार

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