पटनाः बिहार एक बार फिर से आतंकी गतिविधियों को लेकर सुर्खियों में आ गया है. बिहार के गोपालगंज से एक संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार किया गया है. गोपालगंज में टेरर फंडिंग (Terror funding case) पर बिहार में बड़ी कार्रवाई एनआईए की टीम द्वारा 3 दिनों पहले की गई. गोपालगंज के मांझागढ़ से जफर अब्बास नाम के एक युवक को गिरफ्तार (NIA arrest suspect from Gopalganj) किया गया है. सूत्रों के मुताबिक जफर अब्बास आजाद-ए-कश्मीर नाम के संगठन से जुड़ा है. आरोप है कि जफर ने दुश्मन देश पाकिस्तान से करीब 6 करोड़ रुपए मंगाई है. इन पैसों का आतंकियों से कनेक्शन होने के पुख्ता सबूत मिले हैं.
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एनआईए ने गोपालगंज (NIA raid in Gopalganj) से जफर अब्बास के आलीशान मकान से दो लैपटॉप, 6 मोबाइल, 6 सिम कार्ड बैंक पासबुक और पासपोर्ट समेत कई दस्तावेज बरामद किए हैं. एनआईए ने जिस युवक को आतंकी संगठन से जुड़े होने को लेकर गिरफ्तार किया है, वह बीटेक फाइनल ईयर का छात्र है. परिवार वालों के मुताबिक वह मध्यप्रदेश के भोपाल के आरजीपीवी यूनिवर्सिटी के आईईएस कॉलेज में पढ़ाई करता था.
आपको बता दें कि गोपालगंज में यह कोई पहला मामला नहीं है. इसके पहले भी लश्कर-ए-तैयबा के खूंखार शेख अब्दुल नईम आतंकी के कनेक्शन गोपालगंज से जुड़े थे. शेख अब्दुल नईम गोपालगंज में नाम और पता बदल के पासपोर्ट बना चुका था. यहां लश्कर-ए-तैयबा का स्लीपर सेल तैयार करता था. साल 2017 में खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट पर बनारस से शेख अब्दुल नईम की गिरफ्तारी हुई थी. उसके बाद गोपालगंज से जुड़े तार का खुलासा हुआ. लश्कर-ए-तैयबा के स्लीपर सेल से जुड़े सक्रिय सदस्य बेदार बख्त उर्फ धनु राजा की गिरफ्तारी दिसंबर 2017 में हुई. उसे नगर थाना के यादवपुर चौक स्थित ननिहाल से गिरफ्तार किया गया था. कह सकते हैं कि गोपालगंज से NIA की यह तीसी बड़ी कार्रवाई है.
जानकारी दें कि जफर अब्बास से गिरफ्तारी से पहले एनआईए ने कुछ वर्ष पहले अबू बेदार बख्त उर्फ धनु राजा को गिरफ्तार किया था. जिसके ऊपर कुख्यात आतंकी सोहेल खान को गोपालगंज में शरण देने का आरोप था. इसी मामले में एनआईए ने कुछ अन्य युवकों को भी गोपालगंज शहर से गिरफ्तार किया था. एनआईए के विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार एनआईए की जांच जैसे-जैसे बढ़ रही है जफर को लेकर नए खुलासे हो रहे हैं.
अब तक की जानकारी के अनुसार उसके लैपटॉप से कई देश विरोधी वीडियो और फोटो मिले हैं. इसके साथ ही कश्मीर-ए-हिंद के नाम पर बने संगठन के लोग से भी उसके कॉन्टेक्ट हैं. एनआईए के अनुसार एक कोड वर्ड मिला है. उसे कोड वर्ड को डिकोड करने के लिए टीम लगी हुई है. कोडवर्ड को डीकोड करने के बाद आसानी से उन लोगों तक पहुंचा जा सकता है. पिछले 6 महीने में उसके पास 6 करोड़ रुपये आए हैं.
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यह रुपए कब और कहां से आए हैं, किसने भेजा है इन सभी बातों पर जांच चल रही है. मिल रही जानकारी के अनुसार उसके पास से हवाला के जरिए पैसे पहुंच गए थे. हालांकि एनआईए की विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार एनआईए के पूछताछ के दौरान उसने कबूल किया है कि दरभंगा, मधुबनी, जहानाबाद और गया में स्लीपर सेल की मदद के लिए उसके पास पैसे भेजे गए थे. स्लीपर सेल में कई नक्सली भी शामिल हैं, जिन पर एनआईए और पुलिस की नजर बनी हुई है.
आपको बता दें कि बिहार का सीमांचल और मिथिलांचल घुसपैठियों और आतंकियों के लिए सेफ जोन बनता जा रहा है. इसके साथ ही पिछले कुछ सालों में गया, छपरा के क्षेत्रों से आतंकी सामने आए हैं. बिहार के सीमांचल में घुसपैठियों का मुद्दा लगातार उठता रहता है और धीरे-धीरे उसकी लिस्ट भी लंबी होती जा रही है.